मधुरिमा बैद्य का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है. उन्होंने स्टेज 4 कैंसर से लड़ने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और NEET 2024 में सफलता हासिल की.
Success Story: कैंसर सर्वाइवर मधुरिमा ने पहले ही अटेंप्ट में क्रैक किया NEET , क्या है सबसे बड़ा चैलेंज?
ज़्यादातर लोगों के लिए स्टेज 4 कैंसर से लड़ना एक बड़ी चुनौती लग सकती है, लेकिन त्रिपुरा के एक छोटे से गांव की रहने वाली मधुरिमा बैद्य के लिए यह दृढ़ता की सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक बन गई. उनका बचपन जल्दी ही अस्पताल में रहने और मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में कीमोथेरेपी में बीत गया. फिर भी, उन्होंने बीमारी को अपनी पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया.
मधुरिमा कहती हैं,"मुझे लगता है कि मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा मेरे सपनों को पूरा करने की इच्छा थी, मैं इस बीमारी का शिकार बनकर अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को न त्यागकर सभी कैंसर रोगियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहती थी. इसके बजाय, मैं इस बीमारी के खिलाफ योद्धा बनना चाहती थी."यह जर्नी बिना किसी बाधा के नहीं थी. कई सालों तक कैंसर के इलाज- जिसमें कीमोथेरेपी, रेडिएशन और बोन मेरो ट्रांसप्लांट शामिल था - इसने उनके शरीर को कमजोर कर दिया और इन्फेक्शन के प्रति सेंसिटिव बना दिया.
वह अपने टीचर्स और मार्गदर्शकों को इसका क्रेडिट देती हैं, जिन्होंने उन्हें NEET में सफलता की जरूरतों को पूरा किया. इस पूरी जर्नी में उनका परिवार उनकी बैक बोन बना रहा. वह कहती हैं,"मेरे माता-पिता और मेरी बड़ी बहन मेरे सबसे बड़े सपोर्टर थे."
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