कैबिनेट विस्तार: कैबिनेट में ज्यादा महिलाओं को शामिल करना सुधारवादी कदम या वोट पाने की मजबूरी? CabinetExpansion CabinetReshuffle2021
की नेतृत्व वाली सरकार का सुधारवादी कदम है या चुनावी जरुरत जिसने पार्टी नेतृत्व को महिलाओं की भागादारी बढ़ाने के लिए मजबूर किया है।अब सत्ता की चाभी आधी आबादी के हाथ में है। यह बात कहीं न कहीं सच साबित होती है। पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो बड़ी तादाद में महिलाएं वोट देने के लिए घरों से निकल रही हैं। आमतौर पर यह देखने को मिल रहा है कि मतदान करने में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में बेहतर हो रहा है.
इसी तरह ममता बनर्जी को भी आधी आबादी का पूरा साथ मिला है। ममता ने महिलाओं और कन्याओं के लिए कन्याश्री, रूपाश्री, मातृत्व/शिशु देखभाल योजना, शिक्षा और विवाह के लिए नकद राशि का भुगतान, छात्राओं को मुफ्त साइकिल देना, विधवा पेंशन जैसी कई छोटी-बड़ी योजनाएं चलाईं जिससे महिलाओं ने उन पर अपना भरोसा बरकरार रखा। वहीं ममता ने इस बार के विधानसभा चुनाव में 291 उम्मीदवारों में से 50 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था। कुल मिलाकर महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए गए इन कदमों ने महिलाओ का दिल जीत लिया। हालांकि चुनाव...
इस बार संसद में भी पिछली बार के मुकाबले ज्यादा महिला सांसद चुन कर आई हैं। 17वीं लोकसभा में कुल 78 महिलाएं चुनी गईं। भाजपा नेतृत्व ने 2014 के बाद से लेकर अब तक 8 महिलाओं को राज्यपाल और एलजी बनाया है। जबकि मनमोहन सिंह के 10 साल की सरकार में 6 महिलाओं को राज्यपाल और एलजी बनाया था। अब टीम मोदी में नारी शक्ति बढ़ गई है। नारी शक्ति के जरिए आने वाले चुनाव में महिला मतदाताओं को साधने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा...