कोरोना वायरस के बाद चीन के हाथों क्यों आता दिख रहा दुनिया का नेतृत्व?

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कोरोना वायरस के बाद चीन के हाथों क्यों आता दिख रहा दुनिया का नेतृत्व?
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ALERT- कोरोना वायरस के बाद चीन के हाथों क्यों आता दिख रहा दुनिया का नेतृत्व?

स्पेन कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक है. उसे मेडिकल संसाधनों और उपकरणों की सख़्त ज़रूरत है. ख़ास तौर से स्पेन के उन इलाक़ों में जहां पर कोविड-19 के संक्रमण के मामले सबसे ज़्यादा सामने आए हैं.

इस बात की एक मिसाल यूरोपीय देशों की एकता में पड़ी दरार भी है. जब इटली में कोविड-19 के संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़े, तो इटली ने अपने पड़ोसी देशों से अपील की कि वो मेडिकल संसाधन मुहैया कराने में उसकी मदद करें. लेकिन, इटली के दो बड़े पड़ोसियों जर्मनी और फ्रांस ने अपने यहां से ऐसे उत्पादनों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी.

इसी तरह इटली को भी चीन ने मेडिकल उपकरण और टेस्टिंग किट उपलब्ध कराई हैं. साथ ही साथ चीन ने अपने डॉक्टरों का एक दल भी इटली को भेजा है, जिन्हें इटली में हीरो की तरह देखा जा रहा है. इटली के सोशल मीडिया पर #grazieCina या शुक्रिया चीन हैशटैग काफ़ी दिनों तक ट्रेंड करता रहा. लेकिन, चीन की 'मास्क कूटनीति' की राह इतनी आसान भी नहीं है. इसकी एक मिसाल ब्राज़ील है. दुनिया के ज़्यादातर देश आम तौर पर यही मानते हैं कि चीन, इस नए कोरोना वायरस के प्रकोप को सही समय पर सही तरीक़े से रोकने में नाकाम रहा. सोफिया गैस्टन कहती हैं कि इस कारण से चीन के प्रति कई देशों में नाराज़गी भी है.सोफिया गैस्टन एक अमरीकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट का हवाला देती हैं कि चीन अपने यहां कोविड-19 के संक्रमण के मामले छुपा रहा है.

इसकी सबसे हालिया घटना उस वक़्त सामने आई जब ब्राज़ील के शिक्षा मंत्री अब्राहम वीनट्रॉब ने एक ट्वीट किया. चीन के अधिकारी अब्राहम के इस ट्वीट से इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने इसे नस्लवादी तक क़रार दे दिया. ब्राज़ील में चीन के दूतावास ने ट्वीट करके कहा,"ऐसे बयान बेहूदा हैं और निंदनीय हैं क्योंकि इनमें एक नस्लवादी सोच दिखती है."चीन, ब्राज़ील का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ब्राज़ील का 80 प्रतिशत सोया चीन ही ख़रीदता है.

कोलंबिया की सरकार, वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार को मान्यता नहीं देती है. वेनेज़ुएला से भाग कर कोलंबिया जा रहे प्रवासियों की बड़ी संख्या को लेकर भी तनाव बढ़ रहा है.दोनों देशों के बीच तनातनी की हालिया मिसाल एक अप्रैल को उस वक़्त सामने आई, जब वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान डूक्यू को कोविड-19 की दो टेस्टिंग मशीन देने का प्रस्ताव रखा. इससे पहले मीडिया में ख़बरें आई थीं कि कोलंबिया में टेस्ट करने वाली इकलौती मशीन ख़राब हो गई है.

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