क्या इंदिरा गांधी की सरकार ने बदला था संविधान? अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात

Supreme Court समाचार

क्या इंदिरा गांधी की सरकार ने बदला था संविधान? अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
ConstitutionConstitution PreambleIndira Gandhi Period
  • 📰 News18 Hindi
  • ⏱ Reading Time:
  • 24 sec. here
  • 9 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 37%
  • Publisher: 51%

सुप्रीम कोर्ट ने देश के संविधान में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि देश की संसद इस बारे में फैसला ले सकती है.

देश में आपातकाल के दौरान दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने क्या देश का संविधान बदल दिया था? इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाने की मांग की गई थी. इस याचिका पर पहले ही सुनवाई पुरी हो चुकी थी. शीर्ष अदालत को सोमवार को फैसला सुनाना था. अदालत ने सोमवार को इस याचिका को ही खारिज कर दिया.

याचिकाकर्ता के मुताबिक 1976 में संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के जरिए ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द जोड़े गए थे. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इमरजेंसी के दौरान गलत तरीके से प्रस्तावना को बदला गया. समाजवाद जैसी किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा को संविधान का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता. याचिकाओं में यह भी कहा गया कि प्रस्तावना को 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा ने स्वीकार किया था. बिना उस तारीख को बदले सीधे प्रस्तावना में बदलाव कर देना सही नहीं था.

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

News18 Hindi /  🏆 13. in İN

Constitution Constitution Preamble Indira Gandhi Period सुप्रीम कोर्ट संविधान भारत का संविधान संविधान की प्रस्तावना

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

Supreme Court: AMU का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा किस आधार पर तय होगा, जानें संविधान पीठ का फैसलाSupreme Court: AMU का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा किस आधार पर तय होगा, जानें संविधान पीठ का फैसलाAligarh Muslim University: 1967 के एस अजीज बाशा बनाम केंद्र सरकार फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इनकार कर दिया था.
और पढो »

Thank you CJI...सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, AMU छात्रों और प्रशासन में खुशी की लहरThank you CJI...सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, AMU छात्रों और प्रशासन में खुशी की लहरसुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर दिए गए फैसले के बाद छात्रों और अधिकारियों ने अपनी खुशी व्यक्त की है.
और पढो »

Thank You CJI... सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गदगद AMU के छात्र और प्रशासन, बोले- माइनॉरिटी स्टेटस का फैसला सह...Thank You CJI... सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गदगद AMU के छात्र और प्रशासन, बोले- माइनॉरिटी स्टेटस का फैसला सह...AMU Minoirty Status Verdict: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले बाद छात्रों और अधिकारियों ने खुशी जाहिर की है.
और पढो »

इंदिरा गांधी ने बदला था संविधान? सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आज, आएगा राजनीतिक भूचाल!इंदिरा गांधी ने बदला था संविधान? सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आज, आएगा राजनीतिक भूचाल!सुप्रीम कोर्ट आज कई अहम फैसले सुनाने वाला है. लेकिन, राजनीतिक रूप से इंदिरा गांधी के कार्यकाल में संविधान में किए गए बदलाव का मुद्दा सबसे अहम है. अगर सुप्रीम कोर्ट इंदिरा सरकार के वक्त किए इस बदलाव को रद्द कर देता है तो बड़ा बवंडर खड़ा हो जाएगा.
और पढो »

बिलकिस बानो से लेकर राम मंदिर तक...भारतीय न्याय व्यस्था में डीवाई चंद्रचूड़ होना क्यों आसान नहीं, समझिएबिलकिस बानो से लेकर राम मंदिर तक...भारतीय न्याय व्यस्था में डीवाई चंद्रचूड़ होना क्यों आसान नहीं, समझिएDY Chandrachud ने देश के CJI रहते हुए भी कई बड़े फैसले सुनाए हैं जबकि बतौर जज उन्होंने राम मंदिर जैसी याचिकाओं पर संविधान पीठ में रहते हुए अहम फैसला दिया था.
और पढो »

बिलकिस बानो से लेकर राम मंदिर तक...भारतीय न्याय व्यवस्था में डीवाई चंद्रचूड़ होना क्यों आसान नहीं, समझिएबिलकिस बानो से लेकर राम मंदिर तक...भारतीय न्याय व्यवस्था में डीवाई चंद्रचूड़ होना क्यों आसान नहीं, समझिएDY Chandrachud ने देश के CJI रहते हुए भी कई बड़े फैसले सुनाए हैं जबकि बतौर जज उन्होंने राम मंदिर जैसी याचिकाओं पर संविधान पीठ में रहते हुए अहम फैसला दिया था.
और पढो »



Render Time: 2025-02-19 12:48:08