बारिश के मौसम में किसी पेड़ के किनारे खुले में आपको कुकुरमुत्ते दिख जाते हैं. देश की अधिकांश जनसंख्या इन्हें इसी नाम से जानती है. कुत्तों के साथ इनका नाम कैसे जोड़ा गया, जानते हैं इसके पीछे की सच्च
देश की अधिकांश जनसंख्या इन्हें इसी नाम से जानती है. कुत्तों के साथ इनका नाम कैसे जोड़ा गया, जानते हैं इसके पीछे की सच्चाई.हजारों सालों से इंसान के साथ रहे कुत्तों ने आज भी अपनी कुछ आदतें बचाकर रखी हैं. इन्हीं आदतों में से एक है अपनी सीमाओं की निशानदेही करना.जंगल में ज्यादातर जानवर, खासतौर पर शिकारी जानवर अपने इलाके की निशानदेही करके रखते हैं. वे अपने मूत्र से कहीं एक जगह निशानदेही करते हैं.
वहीं, कुछ जगहों पर इन्हें सांप की छतरी भी कहा जाता है. जाहिर है ऐसी जगहों पर सांप भी घूमते हुए दिख जाते होंगे.इन कुकरमुत्तों के छाते जैसे आकार के चलते यह नाम पड़ा होगा. पर, वास्तव में कुकुरमुत्तों का इन सबसे खास लेना-देना नहीं है.मशरूम या फंगी या या कवक हमारे पूरे ईकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. वे न तो पौधे हैं और न तो जंतु हैं.पौधों की तरह उनमें क्लोरोफिल नहीं होता और वे अपना खाना खुद नहीं बनाते हैं. जबकि, वे जंतुओं की तरह मूवमेंट भी नहीं करते बल्कि पौधों की तरह एक ही जगह पर रहते हैं.
ये मर चुकी, सड़-गल रही चीजों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं. वे हर कहीं हैं. पूरी धरती पर ऐसी जगहें कम ही हैं जहां पर वे मौजूद नहीं हों.उन्हें खूब नमी वाली और गर्म जगहें खासी पसंद हैं. इसलिए निश्चित तौर पर वहां पर उनकी संख्या ज्यादा है.वाइल्ड लाइफ पर छह किताबें लिख चुके कबीर संजय कहते हैं कि अगर हम अपनी टेबल पर एक सेब पड़ा छोड़ दें तो ऐसा नहीं है कि वह सेब ऐसे ही पड़ा रह जाएगा. कुदरत अपना काम करेगी.
कुछ ही दिनों में उस सेब के ऊपर फफूंद जम जाएगी. फंगी परिवार का कोई सदस्य उस सड़-गल रहे सेब से अपना भोजन लेने आ जाएगा. वे उसे क्षरित करके फिर से उसी ईकोसिस्टम में मिला देंगे.कई तरह के कवक ऐसे होते हैं जो बेहद विशालकाय होते हैं. माना जाता है कि इस धरती पर सबसे विशालकाय लीविंग आर्गेनिज्म भी एक कवक है. वे माईसीलियम के जरिए आपस में जुड़े रहते हैं और संवाद करते हैं.बहुत सारे पेड़-पौधों और जंतुओं के साथ उनका अन्योन्याश्रित संबंध या सिंबायटिक रिलेशन भी रहता है.
What Is Kukurmutta Why Mushroom Has Kukurmutta
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