Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण में वर्गीकरण की मंजूरी दे दी है। यानी मौजूदा कोटे के अंदर ही अलग-अलग जातियों का कोटा बनाया जा सकेगा। इसके लिए कोर्ट ने अपना ही 20 साल पुराना फैसला पलट दिया है। जानिए कोर्ट के हालिया फैसले के क्या हैं मायने और इससे मौजूदा आरक्षण व्यवस्था पर कैसे पड़ेगा...
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण पर दिए ऐतिहासिक फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के तहत वर्गीकरण की मंजूरी दे दी है। यानी मौजूदा कोटे के अंदर भी नया कोटा बनाया जा सकेगा। साथ ही कोर्ट ने एससी, एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमीलेयर को चिन्हित कर बाहर किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मतलब यह निकलता है कि एससी, एसटी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण में उसी वर्ग के आरक्षण का लाभ पाने से वंचित रह गए वर्गों को लाभ देने के लिए उप...
वर्गीकरण के जरिए उसी कोटे में प्राथमिकता दी जा सकती है ताकि उन तक लाभ पहुंचे और उनका उत्थान हो। क्रीमीलेयर की पहचान की जरूरत: कोर्ट हालांकि कोर्ट ने कहा है कि इसके लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने और पिछड़ेपन का संकेत देने वाले आंकड़े एकत्र करने होंगे। फैसले का दूसरा पहलू क्रीमी लेयर है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में एससी एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर की पहचान कर उसे आरक्षण के लाभ से बाहर करने की बात कही है। अभी तक क्रीमी लेयर का सिद्धांत सिर्फ ओबीसी आरक्षण में ही लागू है। एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण में...
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