क्या पर्याप्त है RBI का ईएमआई वाला पैकेज या इसे और बड़ा बनाने की है जरूरत? RBI economy RBI nsitharaman
की थी। इसे 'कोविड-19 रेगुलेटरी पैकेज' नाम दिया गया। आरबीआई के मुताबिक, कोविड-19 के फैलने के कारण लॉकडाउन की वजह से कई लोगों को कर्ज चुकाने में परेशानी हो रही है।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या 27 मार्च को आरबीआई का लाया गया राहत पैकेज पर्याप्त है या देश के केंद्रीय बैंक को अपने पैकेज को और बड़ा बनाना होगा?मान लीजिए कि आप एक रेस्टोरेंट चला रहे हैं ऐसे में इसमें दो तरह के खर्चे होंगे-घटने-बढ़ने वाले खर्चे। मसलन, आपके रेस्टोरेंट की बिक्री और सब्जियों और दूसरे सामानों की मात्रा में होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से खर्च में होने वाली घटी-बढ़ी।तयशुदा खर्चे। ये ऐसे खर्च होते हैं जो आपको करने ही होते हैं चाहे धंधा चले या ना चले। इनमें दुकान का किराया,...
कुछ इसी तरह की चीजों को ध्यान में रखते हुए 27 मार्च को आरबीआई ने अपने रेगुलेटरी पैकेज में ये उपाय किए-दूसरा प्रावधानः इस तरह से इस पैकेज का मकसद काम-धंधों को बचाने पर है। साथ ही यह कोशिश भी की गई है कि लोगों की आजीविका सुरक्षित रहे।भारत में बैंक आरबीआई की निगरानी और रेगुलेशन में काम करते हैं। आरबीआई प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क के मुताबिक, कर्ज लेने वाले को बैंक के पैसे चुकाने में होने वाली किसी भी दिक्कत के चलते लोन एग्रीमेंट के नियम और शर्तों में होने वाला कोई भी बदलाव अकाउंट की रीस्ट्रक्चरिंग मानी जाएगी।
ऐसे में कारोबारों के सामने अभी अनिश्चितता का संकट मंडरा रहा है। एक तबके की ओर से यह भी मांग की जा रही है कि ईएमआई और इंटरेस्ट को चुकाने से छह महीने की छूट दी जाए। मौजूदा हालात को देखते हुए आरबीआई को इस मांग पर गौर करना चाहिए। किस्त चुकाने से छूट से न केवल कारोबारों को ख़ुद को टिकाए रखने में मदद करेगी, बल्कि इससे बैंकों को भी अपने एनपीए पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी।कुछ तबकों से यह भी मांग आ रही है कि ब्याज की माफी दी जाए। इनकी मांग है कि ईएमआई में छूट की अवधि के दौरान इकट्ठा होने वाला ब्याज...
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि सभी तरह के कर्ज लेने वालों को इसका फायदा देना क्या एक सही फैसला है। मसलन, सरकारी कर्मचारियों की आमदनी पर इस महामारी का कोई असर नहीं है, लेकिन उन्हें भी इसका फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी कंपनियों से अपील की है कि वे अपने कर्मचारियों की छंटनी न करें। अगर आप क्रेडिट कार्ड के पेमेंट को टालते हैं तो आपकी जेब पर और ज्यादा बोझ पड़ने वाला है क्योंकि बैंक मंथली बेसिस पर 1.5 फीसदी से 3 फीसदी ब्याज वसूलते हैं। ऐसे में अगर आप पैसे चुकाने की स्थिति में हैं तो ईएमआई टालने का फैसला न करना ही आपके लिए फायदे का सौदा है।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या 27 मार्च को आरबीआई का लाया गया राहत पैकेज पर्याप्त है या देश के केंद्रीय बैंक को अपने पैकेज को और बड़ा बनाना होगा?मान लीजिए कि आप एक रेस्टोरेंट चला रहे हैं ऐसे में इसमें दो तरह के खर्चे होंगे-घटने-बढ़ने वाले खर्चे। मसलन, आपके रेस्टोरेंट की बिक्री और सब्जियों और दूसरे सामानों की मात्रा में होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से खर्च में होने वाली घटी-बढ़ी।तयशुदा खर्चे। ये ऐसे खर्च होते हैं जो आपको करने ही होते हैं चाहे धंधा चले या ना चले। इनमें दुकान का किराया,...
कुछ इसी तरह की चीजों को ध्यान में रखते हुए 27 मार्च को आरबीआई ने अपने रेगुलेटरी पैकेज में ये उपाय किए-दूसरा प्रावधानः इस तरह से इस पैकेज का मकसद काम-धंधों को बचाने पर है। साथ ही यह कोशिश भी की गई है कि लोगों की आजीविका सुरक्षित रहे।भारत में बैंक आरबीआई की निगरानी और रेगुलेशन में काम करते हैं। आरबीआई प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क के मुताबिक, कर्ज लेने वाले को बैंक के पैसे चुकाने में होने वाली किसी भी दिक्कत के चलते लोन एग्रीमेंट के नियम और शर्तों में होने वाला कोई भी बदलाव अकाउंट की रीस्ट्रक्चरिंग मानी जाएगी।
ऐसे में कारोबारों के सामने अभी अनिश्चितता का संकट मंडरा रहा है। एक तबके की ओर से यह भी मांग की जा रही है कि ईएमआई और इंटरेस्ट को चुकाने से छह महीने की छूट दी जाए। मौजूदा हालात को देखते हुए आरबीआई को इस मांग पर गौर करना चाहिए। किस्त चुकाने से छूट से न केवल कारोबारों को ख़ुद को टिकाए रखने में मदद करेगी, बल्कि इससे बैंकों को भी अपने एनपीए पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी।कुछ तबकों से यह भी मांग आ रही है कि ब्याज की माफी दी जाए। इनकी मांग है कि ईएमआई में छूट की अवधि के दौरान इकट्ठा होने वाला ब्याज...
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