क्षुद्रग्रह टकराव: पृथ्वी की जलवायु और जीवन पर गंभीर प्रभाव

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क्षुद्रग्रह टकराव: पृथ्वी की जलवायु और जीवन पर गंभीर प्रभाव
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एक आगामी क्षुद्रग्रह टकराव से पृथ्वी की जलवायु और जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

भविष्य में एक मध्यम आकार का क्षुद्रग्रह , लगभग 500 मीटर का, पृथ्वी से टकरा सकता है और इससे जलवायु और जीवन में गंभीर बदलाव आ सकते हैं। टकराव के बाद ऊपरी वायुमंडल में लाखों टन धूल का एक विशाल बादल छा जाएगा। यह धूल का बादल तीन से चार साल तक बना रहेगा और इस दौरान जलवायु, वायुमंडलीय रसायन विज्ञान और वैश्विक प्रकाश संश्लेषण पर भारी प्रभाव डालेगा। दक्षिण कोरिया के बुसान राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के आईबीएस सेंटर फॉर क्लाइमेट फिजिक्स (आईसीसीपी) के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन का संचालन किया है, और उनके परिणाम

साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।शोधकर्ताओं के अनुसार, मध्यम आकार के क्षुद्रग्रह पृथ्वी से लगभग हर 100,000 से 200,000 साल में टकराते हैं। उन्होंने एक मॉडल का उपयोग करके पृथ्वी की जलवायु प्रणाली और महासागर में स्थलीय पौधों और प्लवक पर क्षुद्रग्रह टकराने के प्रभावों का अध्ययन किया। उनके मॉडल के अनुसार, क्षुद्रग्रह के टकराने से उत्पन्न धूल के बादल के कारण सूर्य के प्रकाश में कमी से पृथ्वी की सतह चार डिग्री सेल्सियस तक ठंडी हो जाएगी। यह ठंडा होना दुनिया भर में बारिश में 15% की औसत गिरावट और ओजोन परत में 32% की कमी ला सकता है।यह परिवर्तन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचाएगा।

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