ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह पर 813वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म से

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ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह पर 813वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म से
ख्वाजा गरीब नवाजउर्सअजमेर
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अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर 813वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म से हुई। यह रस्म भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के परिवार ने बुलंद दरवाजे पर की। उर्स की औपचारिक शुरुआत रजब का चांद दिखाई देने के बाद होगी।

राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर 813वें सलाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म के साथ हुई। यह रस्म भीलवाड़ा शहर के लाल मोहम्मद गौरी के परिवार द्वारा ऐतिहासिक बुलंद दरवाजे पर अदा की गई। उर्स की विधिवत शुरुआत रजब का चांद नजर आने के बाद से होगी, जिसके बाद दरगाह में धार्मिक रस्मों का आयोजन शुरू किया जाएगा।झंडे का जुलूस और रस्मझंडे का जुलूस असर की नमाज के बाद गरीब नवाज गेस्ट हाउस से रवाना हुआ। इस जुलूस में बड़े कव्वालों और बैंड बाजों ने भाग लिया। जुलूस ने लंगरखाना

गली और निजाम गेट होते हुए दरगाह के मुख्य द्वार से प्रवेश किया। निजाम गेट पर शादियाने बजाए गए और जैसे ही झंडा बुलंद दरवाजे पर पहुंचा, 25 तोपों की सलामी दी गई। इस दौरान अकीदतमंदों ने झंडे को चूमने और अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए उमड़ पड़े।झंडा चढ़ाने की परंपराबुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने के साथ ही खादिमों और जायरीनों ने नोटों की बारिश शुरू कर दी। गौरी परिवार ने बताया कि यह परंपरा 1928 में फखरुद्दीन गौरी के पीर मुर्शिद अब्दुल सत्तार बादशाह द्वारा शुरू की गई थी। इसके बाद 1944 में यह जिम्मेदारी लाल मोहम्मद गौरी को सौंपी गई। उनके इंतकाल के बाद 1991 से मोईनुद्दीन गौरी और फिर 2007 से फखरुद्दीन इस रस्म को निभा रहे हैं।झंडे की रस्म का ऐतिहासिक महत्वकहा जाता है कि जब यह रस्म शुरू हुई थी, उस समय बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया झंडा दूरदराज के गांवों से भी दिखाई देता था। तब मकान छोटे और बुलंद दरवाजा ऊंचा और दूर तक नजर आने वाला था। झंडा देखकर लोग समझ जाते थे कि पांच दिन बाद गरीब नवाज का उर्स शुरू होने वाला है। इस रस्म के माध्यम से यह संदेश गांव-गांव तक पहुंचता था।हजारों की भीड़ और उत्साहइस साल भी इस ऐतिहासिक परंपरा को निभाते हुए गौरी परिवार ने बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया। झंडे की रस्म के दौरान हजारों जायरीनों की भीड़ उमड़ी। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स की औपचारिक शुरुआत रजब का चांद दिखाई देने के बाद होगी, जिसके साथ दरगाह में धार्मिक रस्में और आयोजन शुरू हो जाएंगे।इस ऐतिहासिक और धार्मिक रस्म ने एक बार फिर ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति अकीदतमंदों की गहरी आस्था को उजागर किया है, जो हर साल लाखों जायरीनों को अजमेर की दरगाह की ओर खींच लाती है

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