भारत के एक तीर्थस्थल पर गंगा के तट पर, सैकड़ों लोग एक महापर्व का इंतज़ार कर रहे हैं। वे सर्दी से बचने के लिए पंक्तियों में बैठे हैं, उनके चेहरे आशा और उत्साह से भरपूर हैं। शहर की रोशनी, चाय की धुंध, और पुलिसवालों का कर्तव्य निभाना इस प्रतीक्षा के माहौल को और भी जीवंत बना देता है।
भारत के तीर्थस्थल ों में से एक गंगा के तट पर, सैकड़ों लोग इंतजार कर रहे हैं। सर्दी के तेज झोंकों से बचने के लिए वे पंक्तियों में बैठे हैं, अपने शरीर को बचाने के लिए रजाइयों और चादरों से ढके हुए हैं। हवा थोड़ी कमजोर हो गई है, लेकिन उनकी आशा और उत्साह ताकतवर हैं। कुछ लोगों के चेहरे बीच-बीच में अपनी चादर हटाते हैं, जैसे भूखे जानवरों को एक ताज़ा झलक मिल जाए। उनकी आँखों में एक बेचैनी है, जैसे वे किसी महत्वपूर्ण घटना का इंतजार कर रहे हैं। हजारों लोगों के चेहरे इसी बेचैनी से भरपूर हैं। दूर से चाय की
धुंध और चाय की आवाज़ें आती हैं, जैसे किसी दोस्त की आत्मा से जुड़ाव। उन्हें लगता है कि वे भी इस आस्था की यात्रा में साथी हैं।आँखें ऊपर उठाते हैं तो शहर की रोशनी एक आश्चर्यजनक दृश्य प्रस्तुत करती है, जैसे सूर्य से भी ऊपर की अपनी अस्तित्व की शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। गंगा में उनके प्रतिबिंब को देखो तो ऐसा लगता है जैसे सारा विश्व अपने होने का एहसास कर रहा हो। तट पर खड़ी नावें एक दूसरे से लिपटकर खड़ी हैं, जैसे खुद को आने वाले तूफान के लिए तैयार कर रही हों। इस बीच, लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। पुलिस वाले अपने कर्तव्य को निभाते हुए लोगों को घाट से दूर कर रहे हैं, उन्हें समझते हैं कि जल्द ही होने वाले इस महापर्व को सावधानी से निपटाना है। लोगों की सुबह की सुखद भूली निकली है, और उनकी आवाज़ें विभिन्न भाषाओं में बिखरी हैं, उनके आनंद का प्रमाण। यह एक संकेत है कि पूरा देश इस विशेष पल का इंतजार कर रहा है। हम भी इस पल का इंतजार कर रहे हैं ताकि आपके अनुपस्थिति की कमी को पूरा किया जा सके
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