गडकरी बोले, राजनीति में 'इस्तेमाल करो और फेंको' की प्रवृत्ति, विचारों का खालीपन चिंता का विषय

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गडकरी बोले, राजनीति में 'इस्तेमाल करो और फेंको' की प्रवृत्ति, विचारों का खालीपन चिंता का विषय
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि राजनीति में 'इस्तेमाल करो और फेंको' की प्रवृत्ति एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि देश में विचारों का खालीपन एक बड़ी समस्या है और बहुत से लोग सत्ता में आने वाली पार्टी की ओर दौड़ पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि यदि देश को आगे बढ़ना है तो पहले परिवार को विकसित होना होगा।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि राजनीति पर उनकी राय अच्छी नहीं है, क्योंकि इसमें इस्तेमाल करो और फेंको की विशेषता है। उन्होंने कहा कि देश में विचारधारा समस्या नहीं है, बल्कि विचारों का खालीपन एक बड़ी समस्या है। बहुत से लोग सत्ता में आने वाली पार्टी की ओर दौड़ पड़ते हैं। ऐसे में विचार और निष्ठा की धारा आखिर कहां जाती है। गडकरी ने कहा कि यदि देश को आगे बढ़ना है तो पहले परिवार को विकसित होना होगा। 'देश के लिए अपनी जान देना चाहता' एक घटना को याद करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि एक

व्यक्ति मेरे पास आया। उसने कहा कि वह देश के लिए अपनी जान देना चाहता है। उस समय उसका व्यवसाय विफल हो रहा था, वह दिवालिया हो रहा था। उसके घर पर पत्नी और बच्चे थे। मैंने उससे कहा कि पहले घर का ख्याल रखो और फिर देश का। शिवाजी महाराज को आदर्श मानते हैं गडकरी इसके बाद नितिन गडकरी ने कहा कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना आदर्श मानते हैं क्योंकि महान सम्राट ने लड़ाई लड़ी और जीती, लेकिन पूजा स्थलों को नष्ट नहीं किया और विरोधियों पर अत्याचार नहीं किया। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया और वह भारत के सच्चे धर्मनिरपेक्ष राजा थे। उन्होंने यह बात मराठा सेवा संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कही। सड़क हादसों पर जाहिर की थी चिंता वहीं इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश में सड़क हादसों में हुई बढ़ोतरी को लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि जब मैं पहली बार सड़क परिवहन मंत्री बना था तो सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य रखा था। दुर्घटनाओं की संख्या में कमी को तो भूल जाइए, मुझे ये स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ ही गई है

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