बनासकांठा जिले के ढुवा गांव में स्थित बुटेश्वर महादेव मंदिर एक अनोखी लोककथा से जुड़ा है। इस मंदिर की स्थापना एक तालाब में तैरते पत्थरों के चमत्कार से हुई थी। ग्वालों ने इस घटना को देखकर उस स्थान पर एक शिवलिंग स्थापित किया, जो आज एक विशाल मंदिर में परिवर्तित हो गया है।
बनासकांठा : गुजरात का बनासकांठा सिर्फ अपने खेत-खलिहानों और पशुपालन के लिए मशहूर नहीं है, बल्कि इसकी मिट्टी आध्यात्मिक चमत्कारों से भी भरी पड़ी है. यहां के मंदिर ों में एक ऐसा मंदिर भी है, जिसके पीछे एक अनोखी दास्तान छुपी हुई है. हम बात कर रहे हैं डीसा तालुका के ढुवा गांव में स्थित बुटेश्वर महादेव मंदिर की. इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक रोचक ऐतिहासिक कथा छुपी है. आइए जानते हैं यहां आने वाले भक्त क्या मानते हैं… प्राचीन समय में, ढुवा गांव में ‘गौ लोक तालाब’ नाम का एक तालाब था.
इस चमत्कारिक घटना के बाद, ग्वालों ने उस स्थान पर एक छोटे शिवलिंग की स्थापना की, जो आज बुटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. देवी नहीं, नाग नहीं, यहां बिल्ली की होती है पूजा! थूक में प्रसाद और मरने पर अंतिम संस्कार भी होता विशाल मंदिर का निर्माण हुआ समय के साथ, यह छोटा मंदिर गांववालों की श्रद्धा का केंद्र बन गया. ग्रामवासियों ने सामूहिक प्रयासों से एक विशाल मंदिर का निर्माण किया, जो आज बनासकांठा और आसपास के जिलों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया है.
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