गोवर्धन धाम में भगवान गिरिराज की पूजा की जाती है. यहां गोवर्धन पर्वत को भगवान के रूप में पूजा जाता है.
द्वापर काल से मथुरा के गोवर्धन धाम में भगवान गिरिराज मौजूद हैं. भगवान गिरिराज की सेवा और पूजा करने से सभी काम पूरे हो जाते हैं. भगवान गिरिराज जी को दूध और पेड़े का भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि जब द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से बृजवासियों को बचाया तो सर्वप्रथम उन्होंने यहां दूध और पेड़े का भोग लगाया था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. बृज में भगवान श्रीकृष्ण की अनेक लीलाओं का दर्शन मिलता है.
कहीं कृष्ण की बाल रूप में पूजा होती है, तो कहीं उन्हें रूद्र रूप में पूजा जाता है. भगवान के भक्त उन्हें अपने- अपने हिसाब से लाड़ लड़ाते हैं. एक ऐसा मंदिर भी है जहां कृष्ण को पर्वत के रूप में पूजा जाता है. मथुरा से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर गोवर्धन धाम स्थित है. यहां भगवान कृष्ण ने इंद्र का मान वर्धन करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था. इंद्र का मान वर्धन करने के बाद गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई थी. गोवर्धन स्थित दानघाटी मंदिर के पुजारी पवन कौशिक ने लोकल 18 की टीम से बात करते हुए बताया कि यह मंदिर अद्भुत और अलौकिक है. यहां भगवान का विग्रह नहीं है, बल्कि गोवर्धन पर्वत की शिला है. इसे भगवान के रूप में पूजा जाता है. द्वापर काल से गोवर्धन धाम में भगवान गिरिराज हैं. यहां पर भगवान गिरिराज की सेवा और पूजा की जाती है
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