बांग्लादेश के कुछ अख़बारों ने चिन्मय दास की गिरफ़्तारी पर भारतीय मीडिया के एक वर्ग के रुख़ पर सवाल भी उठाए हैं.
इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को ढाका में गिरफ्तार किया गया था. बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर से जुड़े रहे चिन्मय दास की गिरफ़्तारी और फिर चटगांव में एक वकील सैफ़ुल इस्लाम की हत्या के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक बार फिर तनातनी देखने को मिली है.
अख़बार लिखता है, ''हाल में मीडिया घरानों पर हमले और कॉलेज स्टूडेंट्स की ओर से हिंसक व्यवधानों पर बढ़े तनाव के बीच ये सोचना गलत नहीं होगा कि कोई भयावह ताकत सुनियोजित अराजकता फैलाकर देश को अस्थिर करने की दिशा की ओर ले जाने की कोशिश कर रही है.''अख़बार लिखता है, ''ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि अगर इन वारदातों को ठीक से नियंत्रित न किया जाए तो इसके गहरे सांप्रदायिक नतीजे हो सकते हैं.
अख़बार ने लिखा है कि एक अन्य फेसबुक पोस्ट में राष्ट्रीय नागरिक कमेटी के सदस्य और जुलाई शहीद स्मृति फाउंडेशन के महासचिव सरजिस इस्लाम ने लिखा, ''अगर कोई भी व्यक्ति, चरमपंथी समूह या संगठन धर्म का इस्तेमाल करके सांप्रदायिक उन्माद भड़काता है तो उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.''' ने लिखा है कि वकील सैफुल इस्लाम के जनाजे में लाखों लोग शामिल हुए. जनाज़े के बाद, उनके शव को उनके पैतृक गांव में दफनाया गया.
बांग्लादेश ने पाकिस्तान के हक़ में लिया एक और फ़ैसला, मोहम्मद यूनुस ने हिंदुओं पर 'हमले' को लेकर क्या कहा?अख़बार ने राष्ट्रीय एकता के आह्वान शीर्षक से लिखी रिपोर्ट में बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान के उस बयान का ज़िक्र किया है जिसमें उन्होंने चिन्मय दास की गिरफ़्तारी और उसके बाद हुई हिंसा को लेकर चिंता जताई है.
अख़बार के मुताबिक़ इस बीच, बीएनपी ने विभिन्न दलों और संगठनों की ओर इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग से असहमति जताई है. इसके बजाय पार्टी ने इस्कॉन के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया और अंतरिम सरकार को शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ने की सलाह दी.इमेज कैप्शन,समकाल ऑनलाइन ने लिखा है, ''चटगांव अदालत के सहायक लोक अभियोजक सैफुल इस्लाम की "हत्या" ने विरोध प्रदर्शनों को हवा दे दी है. वकील और अलग-अलग पेशों के लोग न्याय की मांग कर रहे हैं. चटगांव में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने हिंसा की.
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