Chirag Paswan Disagreement With NDA: लोजपा (आर) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के हाव-भाव अब बदल गए हैं. वे लगातार नरेंद्र मोदी सरकार के फैसलों पर असहमति जता रहे हैं. लैटरल एंट्री का विरोध किया, जाति जनगणना को जरूरी बताया और एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में विपक्ष का साथ चिराग ने दिया.
पटना. लोजपा के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के मन में क्या है, यह लोगों के लिए अबूझ पहेली बन गई है. चिराग की पार्टी एनडीए का हिस्सा है. वे खुद नरेंद्र मोदी सरकार में बहैसियत मंत्री शामिल हैं. इसके बवजूद तकरीबन तीन महीने के एनडीए सरकार के कार्यकाल में चिराग पासवान के बयान-आचरण से नहीं लगता कि वे नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं. जिन दिनों चिराग पासवान अपनी पार्टी लोजपा में टूट के बाद अकेले पड़ गए थे, वे अपने को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते थकते नहीं थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में यूपीएससी के माध्यम से संयुक्त सचिव स्तर पर लैटरल एंट्री का प्रस्ताव आया था. संयुक्त सचिव स्तर पर 10% पदों को लैटरल एंट्री के तहत खोलने का प्रस्ताव था. मोदी सरकार ने अब वही प्रस्ताव लागू किया तो कांग्रेस को मिर्ची लग गई और साथ रह कर भी चिराग कांग्रेस की भाषा बोलने लगे हैं. वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर चिराग अलग एनडीए सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश किया तो विपक्ष ने लोकसभा में खूब हंगामा मचाया.
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