तेजी से विकास की हमारी होड़ अक्सर हमें एक ऐसी अंधाधुंध दौड़ में धकेल देती है जिसका शुरुआती लाभ तो हमें काफ़ी दिखता है लेकिन दूरगामी नतीजों को हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. विकास का ऐसा ही एक मानक हम बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को मानते हैं जो हमें बिजली, पानी दोनों मुहैया कराते हैं लेकिन कई बार पर्यावरण पर पड़ने वाले उसके विपरीत असर बाद में हमें पछताने को मजबूर कर देते हैं.पर्यावरण की भारी क़ीमत पर ऐसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट तैयार करने में चीन सबसे आगे निकल गया है जिसने दुनिया का सबसे बड़ा थ्री गॉर्जेस बांध बनाया है.यह बांध इतना बड़ा है कि इसने धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ़्तार को भी कुछ कम कर दिया है.आपको बता दें कि चीन दुनिया के सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस बांध से भी तीन गुना बड़ा बांध ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाने जा रहा है जो भारत के लिए चिंता की एक नई और बड़ी वजह बनने जा रहा है. ब्रह्मपुत्र नदी जो चीन के स्वायत्तशासी तिब्बत प्रांत में मानसरोवर झील के करीब चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है उसे चीन में यार्लुंग सांगपो कहा जाता है.इस नदी पर चीन पहले ही कई बड़े बांध बना चुका है. अब दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी है. ब्रम्हपुत्र नदी के भारत में प्रवेश से पहले बनेगा बांध कुल मिलाकर करीब 2900 किलोमीटर लंबी यार्लुंग सांगपो नदी हिमालय के उस पार तिब्बत के पठार पर 2057 किलोमीटर दूर तक पश्चिम की ओर बहती है और उसके बाद अरुणाचल प्रदेश से होकर भारत में प्रवेश करती है. भारत के बाद ये बांग्लादेश जाती है और फिर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. लेकिन भारत में प्रवेश से ठीक पहले ये नदी एक तीव्र यू टर्न लेती है. यही वो इलाका है जहां चीन दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने जा रहा है, जिसे ग्रेट बेंड डैम (Great Bend Dam) भी कहा जा रहा है
तेजी से विकास की हमारी होड़ अक्सर हमें एक ऐसी अंधाधुंध दौड़ में धकेल देती है जिसका शुरुआती लाभ तो हमें काफ़ी दिखता है लेकिन दूरगामी नतीजों को हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. विकास का ऐसा ही एक मानक हम बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को मानते हैं जो हमें बिजली, पानी दोनों मुहैया कराते हैं लेकिन कई बार पर्यावरण पर पड़ने वाले उसके विपरीत असर बाद में हमें पछताने को मजबूर कर देते हैं.
 बिगड़ सकता है ब्रह्मपुत्र का पारिस्थितिकी तंत्र  असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि, असम में जहां तक हमारा सवाल है, हम पहले ही बता चुके हैं कि अगर यह बांध बनता है, तो ब्रह्मपुत्र का पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से नाजुक हो जाएगा, सूख जाएगा और केवल भूटान और अरुणाचल प्रदेश के वर्षा जल पर निर्भर हो जाएगा.
CHINA ENVIRONMENT HYDROELECTRIC POWER BRAMHUPUTRA RIVER DAM
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