चीन में फैला ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस ( एचएमपीवी) एक सांस से जुड़ी बीमारी है जो दुनिया भर में मौजूद है। यह सर्दी, खांसी, बुखार और कफ जैसे लक्षणों का कारण बनता है। यह विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है।
चीन में फैला ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस नया नहीं है...दुनियाभर में इसे सांस से जुड़ी बीमारियों या श्वसन वायरस के तौर पर पहचाना जाता है। बीते 24 साल में भारत में काफी लोग इसकी चपेट में आकर अस्पतालों में भर्ती हुए, जिनमें 24 माह तक के शिशु सर्वाधिक हैं। इसके लक्षण सर्दी , खांसी , बुखार , कफ की शिकायत जैसे ही हैं। यह सीधे बच्चों में तीव्र श्वसन संक्रमण (एआरआई) पैदा करता है। कुछ लोग इसे कोविड-19 जैसा बता रहे हैं। हालांकि यह कोविड जैसा खतरनाक नहीं है, फिर भी सावधानी बरतने की जरूरत है...
बढ़ा सकता है फेफड़े और सांस की दिक्कतें एचएमपीवी फेफड़ों और श्वसन तंत्र से जुड़ीं बीमारियां पैदा करने वाला वायरस है। इसे 2001 में पहली बार खोजा गया था। एचएमपीवी हल्की से गंभीर श्वसन समस्याएं पैदा कर सकता है, खासकर शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में। आमतौर पर सर्दियों और वसंत की शुरुआत में ज्यादा फैलता है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में यह साल भर फैल सकता है। एचएमपीवी अन्य श्वसन वायरस जैसे आरएसवी और इन्फ्लूएंजा के तरीके से ही फैलता है...यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली छोटी बूंदों, दूषित सतहों को छूने या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। इससे बचने के लिए हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोना जरूरी है। खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकें, मास्क पहनें और बार-बार छुई जाने वाली सतहों को साफ करें। बीमार लोगों के पास जाने से बचें। लक्षण...खांसी-बुखार जैसे ही, बच्चे, बुजुर्ग व कमजोर इम्यूनिटी वालों को सतर्क रहने की जरूरत एचएमपीवी के लक्षण व्यक्ति की उम्र और प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करते हैं। इसमें बहती नाक, गले में खराश, खांसी और बुखार जैसे लक्षण होते हैं, जो आम सर्दी-जुकाम जैसे दिखते हैं। कुछ लोगों को लंबे वक्त तक खांसी, सांस लेते समय घरघराहट या अत्यधिक थकान हो सकती है। गंभीर मामलों में, खासकर शिशुओं, बुजुर्गों या गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों में यह ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियोलाइटिस (सांस नली में सूजन) या न्यूमोनिया जैसी जटिलताएं पैदा कर सकता है। कुछ मामलों में गंभीर सांस की परेशानियों के चलते मरीजों के अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत तक हो सकती है.
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