शी जिनपिंग अक्सर कड़वे घूंट पीने के लिए कहते हैं. मगर ये कहावत अब चीन की मुश्किलों को कम करने में मदद नहीं कर पा रही.
चीन की धीमी अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने के लिए चीनी नेता जुटे हुए हैं. ये नेता एक साथ कई कोशिशें कर रहे हैं.विकास को गति गति देने के लिए इमरजेंसी मीटिंग की गई है और बुरे हाल में चल रहे प्रॉपर्टी मार्केट को मज़बूती देने के लिए कदम उठाए गए हैं.चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में 'संभावित ख़तरे' और 'गंभीर चुनौतियों' से निपटने की तैयारी की बात की. कइयों का मानना है कि जिनपिंग का इशारा अर्थव्यवस्था की ओर था.चीन की ख़राब अर्थव्यवस्था के बारे में काफ़ी वक़्त से ख़बरें आ रही हैं.
इस वजह से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन पांच फीसदी के अपने आर्थिक विकास दर के लक्ष्य से चूक सकता है.तेज़ रफ़्तार अर्थव्यवस्था से ढलान तकचीनी शासन ने हमेशा आर्थिक स्थिरता को लोगों के लिए एक पुरस्कार के तौर पर इस्तेमाल किया है. स्थिर विकास की वजह से चीनी जनता पर सरकार का नियंत्रण बना रहा है.
लेकिन 2023 में सिर्फ 38.8 फीसदी लोगों ने माना कि उनके परिवार की जिंदगी बेहतर हुई है. आधे से भी कम यानी 47 फीसदी ने ही माना कि अगले पांच साल में उनके लिए हालात सुधरेंगे. ऐसा वो दो वजहों से कर रहे हैं. या तो उन्हें नौकरियां नहीं मिल रही हैं या फिर काम के बोझ से बुरी तरह दब कर परेशान हो गए हैं.कड़ी मेहनत का फायदा नहीं
38 साल के मोक्सी भी ऐसे लोगों में शामिल हैं. वो मनोचिकित्सक की अपनी नौकरी छोड़ कर दक्षिण पश्चिमी चीन के डाली शहर आ गए. ये शहर अब भारी दबाव वाली नौकरियां छोड़ कर यहां बस रहे युवाओं के लिए चर्चित हो गया है. चीन में अक्सर लोगों से कहा जाता है कि वर्षों तक पढ़ाई कर डिग्री बटोरने के बाद आर्थिक भविष्य बेहतर बनेगा.
ये लोगों के बीच संपत्ति की असमानता को कम करने के लिए लाई गई थी. लेकिन आलोचकों कहना है इसका नतीजा ये हुआ कि सिर्फ कंपनियों और बड़े कारोबारों पर सख्ती की गई. हालांकि स्लेटन कहते हैं कि इसका अर्थ ये नहीं निकाला जाना चाहिए की चीन की अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने जा रही है.इस स्थिति से निश्चित तौर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चिंतित हैं.
लग्जरी चीजों के बारे में बताने वाले इन्फ्लुएंसर्स सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दिए गए. सरकारी मीडिया ने इन प्रतिबंधों का ये कह कर बचाव किया कि ये एक सभ्य, स्वस्थ और एकता का माहौल बनाने की कोशिश है. नवंबर 2022 के दौरान कड़े कोविड प्रतिबंधों की वजह से लोगों को घरों से निकलने की इज़ाज़त नहीं दी गई थी. ग्रामीण इलाकों के लोगों पर भी इसका असर दिख रहा है जो लंबे समय से सरकार के कल्याणकारी योजनाओं से बाहर हैं.
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