ADR की एक नई रिपोर्ट में 2024 के महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में आपराधिक उम्मीदवारों को उतारने के पीछे राजनीतिक दलों का तर्क सामने आया है।
नई दिल्ली: भारतीय चुनाव ी राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार ों का प्रचार एक गंभीर चिंता का विषय हो गया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ( ADR ) की एक ताजा रिपोर्ट ने 2024 के महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव ों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार ों को उतारने के पीछे राजनीति क दलों के तर्कों का खुलासा किया है। रिपोर्ट बताती है कि राजनीति क दल 'मजबूत प्रशासनिक क्षमता', 'जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता' जैसे कारणों से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार ों को चुनते हैं। रिपोर्ट में 1,286
उम्मीदवारों के फॉर्म C7 के विश्लेषण पर आधारित है, जिन्हें अपने आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करना होता है। ADR के विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र में 48% और झारखंड में 45% उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यह चिंताजनक है क्योंकि कई दल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे उम्मीदवारों के चयन के लिए विस्तृत, योग्यता-आधारित स्पष्टीकरण की मांग की है। कई मामलों में दलों ने कहा कि दूसरे उम्मीदवार अनुभवहीन हैं या जनता से जुड़ नहीं पाते। ADR ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को चुनने के पीछे राजनीतिक दलों की ओर से दिए गए तर्कों पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दलों ने 'मजबूत प्रशासनिक क्षमता', 'जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता' और मामलों के 'राजनीतिक रूप से प्रेरित' होने जैसे कारण दिए हैं। ADR ने कहा कि कई मामलों में, दलों ने वैकल्पिक उम्मीदवारों को अनुभवहीन या मतदाताओं से जुड़ने में असमर्थ बताकर खारिज कर दिया, और इन बहाने अपनी पसंद पर सवालों को टाल दिया
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