छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक आरोपी पति को बरी कर दिया, यह तर्क देते हुए कि पत्नी की सहमति के बिना यौन संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है। यह निर्णय एक 8 साल पुराने मामले में लिया गया है, जहाँ पति को अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाये जाने के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई थी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि पति द्वारा पत्नी के साथ जबरन बनाया गया शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है। अदालत ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया कि पति पर अपनी पत्नी के साथ सहमति या बिना सहमति से बनाए गए यौन संबंध ों के लिए रेप या अनैच्छिक यौन संबंध का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।\न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 और 377 के तहत किसी पति को अपनी
पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता, अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है। Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने यह भी कहा कि अगर पत्नी की सहमति न भी हो, तो भी यह रेप की श्रेणी में नहीं आता।\दरअसल, यह पूरा मामला 11 दिसंबर 2017 का है। एक शख्स ने अपनी पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था। इस घटना के बाद पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। हालांकि, बाद में महिला की मौत हो गई थी। लेकिन डॉक्टरों ने पुष्टि की थी कि महिला की मौत पेरिटोनिटिस और Rectal Perforation की वजह से हुई थी। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पति को 10 साल की सजा सुनाई थी। अब हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उसे बरी कर दिया कि शादी के बाद होने वाले यौन संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आते। अगर पत्नी की उम्र 15 ज्यादा हो। पीठ ने कहा, 'यह साफ है कि अगर पत्नी की उम्र 15 वर्ष से कम नहीं है, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ बनाए गए संबंध को इन परिस्थितियों में रेप नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि अप्राकृतिक काम के लिए पत्नी की सहमति के अभाव का महत्व खत्म हो जाता है, इसलिए, इस अदालत का मानना है कि अपीलकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत अपराध नहीं बनता है।'
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