क्या आपको पता है 100 साल पहले रेलवे में सिग्नल कैसे दिये जाते थे? नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि सिग्नल कैसे दिए जाते थे.
फरीदाबाद. आज से करीब 100 साल पहले रेलवे में सिग्नलिंग देने का तरीका तरीका क्या था? ट्रेन को रोकने के लिए क्या किया जाता था? या सावधानी से चलने के लिए कौन सा सिग्नल दिया जाता था? आज हम आपको ऐसी की चीजों के बारे में बताने वाले हैं. आज से 100 साल पहले उस समय न तो इलेक्ट्रिक सिग्नल थे और न ही कोई ऑटोमैटिक सिस्टम. रेलवे में सिग्नल देने के लिए हाथ से चलाए जाने वाले झंडे और रात के समय लालटेन का इस्तेमाल किया जाता था. यह लालटेन केरोसिन तेल से जलती थी और दूर से ही साफ दिखाई देती थी.
सावधानी से चलने के लिए पीली और चलने की अनुमति के लिए हरी रोशनी का इस्तेमाल होता था. पूरी प्रक्रिया होती थी मैन्युअल रेलवे ट्रैक के किनारे सिग्नल मैन तैनात रहते थे, जिनका काम ट्रेनों को सही दिशा और समय पर संकेत देना होता था. यह प्रक्रिया पूरी तरह मैन्युअल थी और कर्मचारियों को बहुत सावधानी और मुस्तैदी से काम करना पड़ता था. अगर कहीं गलती हो जाती तो दुर्घटना होने का खतरा बना रहता था.
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