20 नवंबर 1979 को मक्का की मस्जिद पर विद्रोहियों ने क़ब्ज़ा कर लिया. फ़्रांस की मदद से सऊदी अरब ने दो हफ़्ते बाद यहां दोबारा नियंत्रण हासिल किया.
20 नवंबर, 1979 का दिन, मोहर्रम की पहली तारीख़ थी, मक्का की सबसे बड़ी मस्जिद में स्थानीय लोगों के अलावा पाकिस्तानी, इंडोनेशियाई, मोरक्क्न और यमनी तीर्थयात्रियों का मजमा लगा हुआ था.उनमें से कुछ लोग कई दिनों से मस्जिद के अंदर रहकर उसके दालानों और रास्तों का जायज़ा ले रहे थे.
यारोस्लाव त्रोफ़ीमोव लिखते हैं, ''कुछ सेकेंड बाद ही जोहेमान ने इमाम को धक्का देकर माइक पर कब्ज़ा कर लिया. जब इमाम ने दोबारा माइक छीनने की कोशिश की तो एक हमलावर पूरी ताकत से चीख़ा और अपनी कटार उनके चेहरे पर लगा दी. ये तमाशा देख रहे हज़ारों तीर्थयात्री अपने जूते हाथों में लेकर बाहरी गेटों की तरफ़ भागे. लेकिन जब वो वहाँ पहुंचे तो उन्हें सारे 51 गेट बंद मिले. बदहवासी में उन्होंने ज़ोर ज़ोर से 'अल्ला हो अकबर' चिल्लाना शुरू कर दिया.
अगले एक घंटे में हमलावरों ने मस्जिद के लाउडस्पीकर के ज़रिए पूरी दुनिया के एक अरब मुसलमानों तक एक पुरानी भविष्यवाणी पहुंचाई जिसमें कहा गया था कि क़यामत का वक्त आ गया है और महदी आ चुके हैं. दरअसल, ऐसी मान्यता है कि क़यामत से पहले अन्याय को मिटाकर 'सच्चे धर्म' को दोबारा स्थापित करने के लिए महदी का धरती पर अवतरण होगा.
सन 1976 में उन्होंने जिबूती में बच्चों से भरी स्कूल बस को आतंकवादियों से छुड़ाया था. उन्होंने पहले उन्हें नशीले पदार्थ से भरा खाना दिया और फिर उन पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी. इस आपरेशन में सभी बच्चों को बचा लिया गया था. बाद में पॉल बेरिल ने अपनी आत्मकथा 'वेरी स्पेशल मिशंस' में लिखा, ''गोपनीयता बनाए रखने के लिए मुझे और मेरे साथियों को अपने पासपोर्ट फ़्रेंच दूतावास को सौंपने पड़े. मैं आम लोगों की तरह बेल बॉटम और काउब्वॉय बेल्ट पहने हुए था. हमारे पास अपनी सुरक्षा के लिए हथियार तक नहीं थे. हमारे पास अपने अफ़सरों से बात करने का कोई साधन नहीं था, सिवाय सऊदी टेलीफोन पर निर्भर रहने के. बाहरी दुनिया के लिए हम तीन व्यापारी थे लेकिन हमारे चौड़े कंधे और माँसल शरीर कुछ दूसरी ही कहानी कह रहे थे.
प्रोतिया सीबी की मात्रा सुनकर आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि इतनी सीबी से पूरे शहर को काबू में लाया जा सकता था. जैसे कि उम्मीद थी सीबी ने विरोधियों की गतिविधियों को शिथिल कर दिया और सऊदी सैनिक अवरोधों और कंटीले तारों को तोड़ते हुए मस्जिद के अंदर घुस गए.
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