जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: इंजीनियर रशीद और जमात-ए-इस्लामी साथ-साथ, क्यों अहम है ये गठबंधन?

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जेल से बारामुला के सांसद बने इंजीनियर रशीद और जमात समर्थित उम्मीदवारों के एक साथ आने से घाटी में किस पार्टी को नुकसान होने की संभावना है?

इमेज कैप्शन,एक मिनट पहलेइस वोटिंग से कुछ ही घंटे पहले रविवार की देर शाम इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तिहाद पार्टी ने प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ गठबंधन का ऐलान किया है.

उन्होंने कहा, "हम जमात के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे और वो हमारे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे, जबकि कुछ सीटों पर दोस्ताना मुक़ाबला भी होगा और दोनों के उम्मीदवार मौजूद होगें." इस चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन किया है. जबकि महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी ने अभी तक किसी राजनीतिक दल के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है.जम्मू-कश्मीर: विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद पहली बार होगा विधानसभा चुनाव, कैसा है माहौलइंजीनियर रशीद की चुनाव से पहले जेल से रिहाई और अब जमात के साथ गठबंधन की वजह से उनपर बीजेपी के ‘प्रॉक्सी’ समर्थक होने का आरोप लग रहा है.

हालाँकि इंजीनियर रशीद ने जेल से बाहर आते ही पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "मोदी ने ‘नया कश्मीर’ का जो नैरेटिव बीते वर्षों में खड़ा किया है हम उस नैरेटिव का तोड़ निकालेंगे." “साथ ही पीडीपी को भी इस गठबंधन ने अपने निशाने पर लिया होगा. इसका सीधा मतलब है कि कश्मीर में पीडीपी और एनसी का जो पारंपरिक वोट है, उसमें सेंध लगाई जाए."

इस लिहाज से जानकार कह रहे हैं कि अब तक जमात का जो वोट पीडीपी को मिलता रहा था, वो इस चुनाव में नहीं मिल पाएगा. राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार ताहिर मोहिउद्दीन बताते हैं कि इन दोनों का गठबंधन, एक जैसी सोच पर आधारित है. जमात ए इस्लामी एक धार्मिक-राजनीतिक संगठन है. इस संगठन की कश्मीर के सोपोर, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा में मज़बूत मौजूदगी है.

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