हवा महल, जयपुर का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक, अपनी 953 खिड़कियों, अद्वितीय वास्तुकला और रोमांचक इतिहास के लिए जाना जाता है। यह 'गुलाबी शहर' की पहचान बन चुका है।
हवा महल , जो जयपुर के ' गुलाबी शहर ' की पहचान बन चुका है, को जयपुर का 'ताजमहल' भी कहा जाता है। गुलाबी रंग की बालकनियों और जालीदार खिड़कियों से झांकता यह महल अपनी खूबसूरती और इतिहास के लिए जाना जाता है। 953 खिड़कियों वाला यह पांच मंजिला हवा महल बिना किसी नींव के बना है। महल में सीढ़ियां भी नहीं हैं, बल्कि रैंप का इस्तेमाल किया गया है ताकि हर मंजिल तक पहुँचा जा सके। \ हवा महल का निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था। वास्तुकार लाल चंद उस्ताद ने इसे इस तरह डिज़ाइन किया कि यह बाहर
से श्रीकृष्ण के मुकुट की तरह दिखता है। लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से निर्मित इस महल में जालीदार खिड़कियों से हमेशा ठंडी हवा महल के अंदर आती रहती है। इसी वजह से इसे हवा महल नाम दिया गया। इस अद्भुत इमारत की खासियत यह है कि यह सीधी खड़ी है, जिसमें कोई ठोस नींव नहीं डाली गई है। नींव की कमी के कारण यह घुमावदार और 87 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है। \हवा महल को सिटी पैलेस के एक हिस्से के रूप में बनाया गया था, इसलिए इस महल के बाहर से कोई प्रवेश द्वार नहीं है। महल में एंट्री के लिए सिटी पैलेस की तरफ से एक छोटी सी एंट्री दी गई है। हवा महल के अंदर कदम रखते ही आपको राजपुताना और इस्लामी मुगल वास्तुकला का मेल दिखेगा। हवा महल की ये खिड़कियां शाही रानियों और महल की महिलाओं के लिए बनवाई गई थी, ताकि वो उन झरोखों से बाहर के नजारे देख सकें। हवा महल की खिड़कियां गर्मी में भी इसे ठंडा रखती हैं
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