जर्मनी ने द्वितीय विश्व युद्ध में लंबी दूरी की गाइडेड मिसाइल का इस्तेमाल किया था. जैसे ही वह हारा, इसे अमेरिका और रूस चुरा ले गए. फिर इसी तकनीक पर अपनी मिसाइलों और रॉकेटों को बनाया. आइए जानते हैं जर्मनी के इस बदला लेने के हथियार की कहानी...
दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था. जर्मनी ने उस समय लंबी दूरी की गाइडेड बैलिस्टिक मिसाइल बना ली थी. नाम था V-2.जिसे बाद में अमेरिका और सोवियत संघ ने छीन लिया. क्योंकि नाजी जर्मनी युद्ध हार गया था. जर्मन सेना इसे वेनेजेंस वेपन यानी बदला लेने का हथियार कहती थी. यह वही रॉकेट है, जिसकी तकनीक के सहारे अमेरिका और रूस ने अपनी मिसाइल और रॉकेट का फ्यूचर बदला. यानी जर्मनी अमेरिका और रूस की तुलना में साइंस-टेक्नोलॉजी में बहुत आगे था. जर्मनी इस मिसाइल का इस्तेमाल एलाइड सेना के ठिकानों पर कर रहा था.
यह अधिकतम 206 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाती थी. यह भी पढ़ें: रूस का सैटेलाइट अंतरिक्ष में फटा... चीन ने कचरे से बचने के लिए अपने स्पेस स्टेशन को बनाया कवचAdvertisementमजेदार बात ये है कि यह अधिकतम 5760 km/hr की रफ्तार से टारगेट की तरफ बढ़ती थी. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस मिसाइल और इसकी तकनीक को अमेरिका और रूस ने चुरा लिया. या यूं कहें कि छीन लिया. इसके बाद अमेरिका और रूस ने इसके आधार पर अपनी मिसाइलें और रॉकेट डेवलप किए. यह भी पढ़ें: ब्रह्मोस के बाद अब इस देश को पसंद आया भारत का दूसरा मिसाइल सिस्टम.
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