उत्तर प्रदेश में हुई भारी बारिश और बाढ़ की वजह से किसानों की धान की फसलों को नुकसान पहुंचा है. कई जगहों पर किसानों की धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई, लेकिन धान की बहुत सी ऐसी किस्में हैं, जो बाढ़ रोधी होती हैं. यानि बाढ़ का प्रभाव धान की इन किस्मों पर बहुत हद तक नहीं होता है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने Local18 को बताया कि स्वर्णा और जल लहरी किस्म की धान 15 से 18 दिनों तक पानी में डूबे रहने के बावजूद भी नष्ट नहीं होती. इन किस्म की रोपाई का किसान देरी से भी कर सकते हैं. आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा स्वर्णा और जल लहरी नाम की दो किस्म तैयार की हैं, जो 15 से 18 दिनों तक पानी में डूबे रहने के बावजूद भी किसानों को अच्छा उत्पादन देती हैं. डॉ.
एनपी गुप्ता ने बताया कि बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अक्सर बाढ़ की समस्या या जल भराव की समस्या बनी रहती है. ऐसे खेतों में दूसरी फसल को नहीं उगाया जा सकता. ऐसे में खरीफ के सीजन में स्वर्णा और जल लहरी लगाकर किस्म अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. डॉ. एनपी गुप्ता ने कहा कि स्वर्णा और जल लहरी की किस्म 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन देती हैं. देरी से रोपाई की जाने वाली यह किस्में, जिनको किसान अभी लगा सकते हैं. कई जगहों पर तो ये किस्म 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती हैं.
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