जागरण संपादकीय: सांसदों की सीमित स्वतंत्रता, यूरोप या अमेरिका जैसी अभिव्यक्ति की आजादी क्यों नहीं

Indian Politics समाचार

जागरण संपादकीय: सांसदों की सीमित स्वतंत्रता, यूरोप या अमेरिका जैसी अभिव्यक्ति की आजादी क्यों नहीं
Freedom Of Member Of Parliament
  • 📰 Dainik Jagran
  • ⏱ Reading Time:
  • 26 sec. here
  • 3 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 17%
  • Publisher: 53%

ब्रिटेन अमेरिका में देखा जाता है कि गंभीरतम राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर भी हरेक सांसद स्वतंत्रता पूर्वक अपने विवेक से अपने विचार रखते हैं। उसमें उनकी पार्टी का कोई दखल नहीं है। ब्रिटेन में ब्रेक्जिट जैसे ऐतिहासिक मुद्दे पर भी हर सांसद अपनी-अपनी राय से बोलने और अभियान चलाने के लिए स्वतंत्र थे। कारण संसद सदस्यों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...

शंकर शरण। अपने देश में प्रायः ही किसी सांसद या विधायक के किसी वक्तव्य पर उसकी पार्टी के नेता नाराज होकर उसकी सार्वजनिक रूप से खिंचाई करते हैं। उसे केवल 'पार्टी लाइन' के अनुसार बोलने की चेतावनी देते हैं, जबकि जो नेता अपने दल के सांसदों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को फटकारते हैं, वे स्वयं दूसरे दलों को नीचा दिखाने के लिए घटिया, झूठी और उत्तेजक बयानबाजियां करते रहते हैं। यह अनैतिक तो है ही, देश-हित की दृष्टि से आत्मघाती चलन भी है। यदि सर्वोच्च विचार सभा यानी संसद के सदस्य ही अपने विचार नहीं रख...

में रहते हुए सीनेटर हर विषय पर न केवल अपनी राय स्वतंत्रतापूर्वक रखते हैं, बल्कि एक-दूसरे को चुनौती देते अपने लिए जनमत पाने की खुली लड़ाई भी लड़ते हैं। सांसदों को ऐसी स्वतंत्रता से ब्रिटेन, अमेरिका का लोकतंत्र अधिक मजबूत बना है। विभिन्न विचारों की खुली प्रस्तुति से ही किसी मसले की सभी बातें सामने आती हैं। तभी बेहतर समाधान पाना भी संभव है। यह ध्यान रहे कि कम्युनिस्ट देशों में दलीय निर्देश पर सारे सांसदों द्वारा बंधी-बधाई बातें ही कहने की रीति से उनकी वैचारिक, नैतिक और राजनीतिक क्षति हुई। किसी भी...

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

Dainik Jagran /  🏆 10. in İN

Freedom Of Member Of Parliament

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

जागरण संपादकीय: राष्ट्रपति की पीड़ा, कोलकाता जैसी घटनाओं पर लीपापोती से नहीं चलेगा कामजागरण संपादकीय: राष्ट्रपति की पीड़ा, कोलकाता जैसी घटनाओं पर लीपापोती से नहीं चलेगा कामकोलकाता की घटना पर देश इसीलिए गुस्से में है क्योंकि ममता सरकार और उनकी पुलिस ने इस घटना पर लीपापोती करने की कोशिश की। इसी कारण उसे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय से फटकार मिली। राजनीतिक दलों को यह समझने की सख्त जरूरत है कि सभ्य समाज को शर्मिंदा करने वाली दुष्कर्म की घटनाओं की एक स्वर में निंदा की जानी...
और पढो »

बांग्लादेश में मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता स्थापित करना जरूरी : मुहम्मद यूनुसबांग्लादेश में मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता स्थापित करना जरूरी : मुहम्मद यूनुसबांग्लादेश में मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता स्थापित करना जरूरी : मुहम्मद यूनुस
और पढो »

जागरण संपादकीय: असली-नकली हिंदुत्व की लड़ाई, शिवाजी की प्रतिमा पर नहीं होनी चाहिए राजनीतिजागरण संपादकीय: असली-नकली हिंदुत्व की लड़ाई, शिवाजी की प्रतिमा पर नहीं होनी चाहिए राजनीतिमहाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का समय आ रहा है इसलिए उद्धव ठाकरे राकांपा और कांग्रेस को लग रहा है कि शिवाजी की प्रतिमा गिरना ऐसा मुद्दा है जिसके आधार पर राज्य के लोगों की भावनाएं भाजपा और महायुति के विरुद्ध भड़काई जा सकती हैं। इसलिए सच के इस दूसरे महत्वपूर्ण पक्ष को अवश्य देखा जाना चाहिए। लेकिन शिवाजी की प्रतिमा पर राजनीति नहीं होनी...
और पढो »

जागरण संपादकीय: सदा स्मरण रहे स्वतंत्रता की महत्ता, स्वाधीनता सेनानियों का स्मरण भी जरूरीजागरण संपादकीय: सदा स्मरण रहे स्वतंत्रता की महत्ता, स्वाधीनता सेनानियों का स्मरण भी जरूरीभारत आज जब अपना स्वाधीनता दिवस मना रहा है तब हमें स्वाधीनता सेनानियों के साथ-साथ उन तमाम लोगों का भी स्मरण कर लेना चाहिए जिन्होंने विभाजन की विभीषिका झेली और जिन्होंने पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों को सहारा दिया। ध्यान रहे कि तब देश में सरकार नाम की कोई चीज मुश्किल से ही थी। सब तरफ अराजकता और अव्यवस्था का आलम...
और पढो »

जागरण संपादकीय: सिर उठाते समानांतर सेंसर बोर्ड, क्यों हो रहा कंगना की फिल्म का विरोध?जागरण संपादकीय: सिर उठाते समानांतर सेंसर बोर्ड, क्यों हो रहा कंगना की फिल्म का विरोध?इमरजेंसी के ट्रेलर में कुछ सेकेंड का एक और दृश्य है जिसमें सिख भेष वाले बंदूकधारी लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाते दिख रहे हैं। यदि किसी को इस पर भी आपत्ति है तो यह हास्यास्पद है। दुनिया जानती है कि खालिस्तानी आतंकियों ने पंजाब में हजारों लोगों को मारा। कंगना की फिल्म का विरोध इसलिए तो नहीं किया जा रहा है ताकि खालिस्तानी आतंकियों की करतूतों पर...
और पढो »

जागरण संपादकीय: रेवड़ी संस्कृति का नतीजा, ठीक नहीं हिमाचल की आर्थिक स्थितिजागरण संपादकीय: रेवड़ी संस्कृति का नतीजा, ठीक नहीं हिमाचल की आर्थिक स्थितिकुछ राजनीतिक दल तो ऐसे हैं जो मुफ्तखोरी वाली योजनाओं का वादा करके सत्ता में आ जाते हैं और फिर उन्हें लागू करने के लिए केंद्र सरकार से अतिरिक्त धन की मांग भी करते हैं। जब केंद्र सरकार उनकी मांग पूरा करने के लिए तैयार नहीं होती तो वे उस पर खुद की अनदेखी करने का आरोप मढ़ते हैं...
और पढो »



Render Time: 2025-02-22 05:21:24