जागरण संपादकीय: हिंदू मंदिरों के संचालन का सवाल, देश के कई मंदिरों में ब्राह्मण पुरोहित नहीं

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जागरण संपादकीय: हिंदू मंदिरों के संचालन का सवाल, देश के कई मंदिरों में ब्राह्मण पुरोहित नहीं
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देश में आर्य समाज कबीर पंथ ब्रह्म समाज इत्यादि के हजारों मंदिर हैं जिनमें ब्राह्मण पुरोहित नहीं हैं। शहरों में तो खैर पता ही नहीं चलता कि किस मंदिर में ब्राह्मण या गैर-ब्राह्मण पुरोहित हैं। आधुनिक काल में ऐसे बहुत से संप्रदाय बने हैं-खासकर इस्कान साईं मंदिर समूह गायत्री परिवार आदि जिनमें सभी जातियों के पुरोहित हैं। पुजारी और पुरोहित में फर्क करना...

सुशांत झा। तिरुपति बालाजी मंदिर में पशुओं के चर्बीयुक्त घी से बने प्रसाद पर विवाद के बीच यह मांग उठ रही है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। इस मांग के विरोध में यह कहा जा रहा है कि अगर मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हट गया तो क्या वे फिर से ब्राह्मण वर्चस्व में नहीं चले जाएंगे? इसी के साथ यह भी कहा जा रहा है कि ये ब्राह्मण ही थे, जिन्होंने सारे मंदिरों पर कब्जा कर लिया और उनमें दलितों और पिछड़ों की भागीदारी सीमित कर दी। यह सही है कि भारत में अधिकांश मंदिरों के पुजारी जन्मना ब्राह्मण...

01 प्रतिशत पुरोहित ऐसा अपने मन से थोप सकते थे? स्पष्ट है कि इसमें सवर्ण और पिछड़ा सहित पूरा समाज शामिल था। 2011 की जनगणना में देश में करीब 26 लाख धार्मिक संस्थान/ मंदिर-मस्जिद-चर्च इत्यादि होने की बात कही गई। इसमें करीब 19 लाख हिंदू संस्थान थे। यह मान लें कि पिछले सौ साल में अनेक मंदिर सड़कों के किनारे निहित स्वार्थों के लिए भी बने हों तो यह ध्यान रहे कि उन्हें बनवाने वाले ऐसे बहुत सारे लोग थे, जो ब्राह्मण नहीं थे। करीब 15 लाख मंदिर सैकड़ों-हजारों सालों से देश में हैं, वे राजाओं, जमींदारों और...

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