केंद्रीय कैबिनेट ने एक साथ चुनाव कराने के विचार पर अमल करने की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया। इस फैसले के संदर्भ में यह भी कहा गया कि 2029 यानी अगले लोकसभा चुनाव तक एक राष्ट्र-एक चुनाव का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। कैबिनेट के इस फैसले की घोषणा होते ही विपक्षी दलों ने घिसे-पिटे तर्कों के साथ इसका विरोध करना शुरू कर...
संजय गुप्त। इन दिनों एक साथ चुनाव की चर्चा हो रही है। इस बहस के संदर्भ में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि स्वतंत्रता के उपरांत लगातार चार बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ ही हुए। यह सिलसिला 1951-52 से लेकर 1967 तक कायम रहा। यह सिलसिला टूटा इसलिए, क्योंकि कई राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया या विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया। एक कारण यह भी रहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजनीतिक लाभ लेने की खातिर समय से पहले लोकसभा भंग कराकर आम चुनाव कराना पसंद किया। एक तथ्य यह भी...
कि 2029 यानी अगले लोकसभा चुनाव तक एक राष्ट्र-एक चुनाव का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। कैबिनेट के इस फैसले की घोषणा होते ही विपक्षी दलों ने घिसे-पिटे तर्कों के साथ इसका विरोध करना शुरू कर दिया। किसी ने कहा कि ऐसा करना संविधानसम्मत नहीं तो किसी ने दलील दी की यह व्यावहारिक नहीं। कुछ दलों ने तो एक साथ चुनाव के विचार को वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने का मोदी सरकार का हथकंडा करार दिया। लगता है ऐसा कहने वाले यह समझने को तैयार नहीं कि यह एक ऐसा विषय है, जो दलगत राजनीतिक हितों से ऊपर उठने की...
PM Modi Ramnath Kovind Sanjay Gupt
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