जापानी पुदीना की खेती से कन्नौज के किसानों को होगा अच्छा लाभ

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जापानी पुदीना की खेती से कन्नौज के किसानों को होगा अच्छा लाभ
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एफएफडीसी के वैज्ञानिक कमलेश कुमार ने बताया कि जापानी पुदीना की खेती बहुत ही आसान है और इससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. जापानी पुदीना का तेल ठंडे कॉस्मेटिक प्रोडक्टों में सबसे ज्यादा डिमांड में रहता है.

एफएफडीसी के वैज्ञानिक कमलेश कुमार ने Local18 को बताया कि जापानी पुदीना की खेती बहुत ही आसान तरीके से हो सकती है. इसका तेल ठंडे कॉस्मेटिक आइटमों में सबसे ज्यादा डिमांड में रहता है. उन्होंने कहा कि इससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसकी खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. आगे बताया कि जापानी पुदीना की जड़ों को सकर्स कहा जाता है. इनको छोटे-छोटे पीस में काटकर इसकी नर्सरी बना ली जाती है.

30 से 35 दिन के बाद यह आठ दिन का पौधा जब हो जाए, तो इसको आसानी से लगा दिया जाता है. वहीं यह फसल फरवरी माह में लगाई जाती है और 6 से 7 महीने में इसकी कटाई कर ली जाती है. इस पौधे की पत्तियों में से जो तेल निकलता है वह ठंडे कॉस्मेटिक प्रोडक्टों में सबसे ज्यादा डिमांड में रहता है. वैज्ञानिक कमलेश कुमार का कहना है कि किसान अपनी आलू की फसल के बाद अगर जापानी पुदीना की फसल करते हैं, तो उनको अच्छा लाभ मिलने की संभावना हो सकती है. क्योंकि बहुत कम लागत में और बहुत ही आसान तरीके से इसकी खेती की जा सकती है. खेत के खाली होने पर इसकी खेती कर सकते हैं. 6 से 7 महीने में यह तैयार हो जाता है, अभी इसकी खेती बाराबंकी, बदायूं, लखीमपुर जैसे जिलों में होती है कन्नौज के किसान इस खेती को अपना कर अच्छी कमाई कर सकते हैं

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