जिज्ञासा और संघर्ष की कहानी: चूरू की 14 वर्षीय तमन्ना ने राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीता

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जिज्ञासा और संघर्ष की कहानी: चूरू की 14 वर्षीय तमन्ना ने राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीता
तमन्नाएथलेटिक्सराष्ट्रीय चैंपियनशिप
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चूरू की 14 वर्षीय तमन्ना ने राष्ट्रीय स्कूली एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीन हजार मीटर पैदल चाल में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। तमन्ना की प्रगति का पीछे का संदेश जिद, जुनून और संघर्ष है क्योंकि उन्होंने अपने पिता के निधन के बाद इस पथ पर कदम रखा है।

चूरू जिले से निकलने वाली एक कहानी है जो जिद, जुनून और संघर्ष की कहानी है। शेखावाटी की धरती हमेशा से वीरों और तपस्वीयों की धरती रही है। उसी धरती पर जन्ने वाले प्रत्येक व्यक्ति में जिद, जुनून और कुछ कर गुजरने का जज्बा अपने अंदर होता है, जो उन्हें आनुवंशिक रूप से ही प्राप्त होता है। यह भावना परिस्थितियों के कठिन होने पर भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। हम बात कर रहे हैं चूरू की एक 14 वर्षीय बेटी की, जो एक सुनहरे भविष्य के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वह उसी पथ पर चल रही है जिस पर उसने

हमेशा के लिए अपने पिता को खो दिया था। रांची, झारखंड में आयोजित राष्ट्रीय स्कूली एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीन हजार मीटर पैदल चाल में ब्रॉन्ज मेडल लाने वाली तमन्ना बताती हैं कि उसके पिता बाबू खान उसे बेटी नहीं बल्कि बेटा मानते थे। छोटी, मोटी मजदूरी कर अपना परिवार चलाने वाले बाबू खान, अपनी बेटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनाना और देश के लिए गोल्ड लाना चाहते थे। लेकिन प्रकृति का हुक्म कुछ और था। तमन्ना बताती हैं कि उसने जुलाई 2023 में चूरू के खेल स्टेडियम में अपनी तैयारी शुरू की थी। हर दिन उसके पिता उसे स्टेडियम ले जाते थे ताकि वह एक दिन उसी ट्रैक पर देश के लिए गौरव प्राप्त कर सके। लेकिन एक दिन उसी ट्रैक पर तैयारी करते समय, उसके पिता का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। यह भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश के खिलाफ बिहार रणजी टीम की घोषणा, मैदान पर दिखेंगे कई स्टार खिलाड़ी, देखें लिस्ट कोच ईश्वर सिंह लांबा करवा रहे मुफ्त तैयारी। 14 साल की तमन्ना बताती हैं कि उसी ट्रैक पर वापस कदम रखना उसके लिए काफी कठिन था। लेकिन उसके पिता की इच्छा थी कि वह पथ पर इतनी शिद्द्त से मेहनत करें कि वह एक अच्छी खिलाड़ी बन सके। और अब उसका परिणाम नजर आने लगा है। रिटायर्ड खेल अधिकारी ईश्वर सिंह लांबा बताते हैं कि तमन्ना की पारिवारिक स्थिति के बारे में जानने के बाद उन्होंने तमन्ना को निःशुल्क तैयारी करवाने का निर्णय लिया क्योंकि तमन्ना के पिता की मृत्यु के बाद उनके घर में कोई कमाने वाला नहीं है। इश्वर सिंह लांबा बताते हैं कि 14 वर्षीय तमन्ना ने 2024 में शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय एथलेटिक चैंपियनशिप में अपनी उम्र से 5 वर्ष बड़ी 19 साल आयु वर्ग में तीन हजार मीटर में जिला स्तर पर प्रथम रहीं। फिर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त किया और फिर रांची, झारखंड में राष्ट्रीय स्तर पर ब्रॉन्ज मेडल लेकर आई। तमन्ना आज तमाम चुनौती और विपरीत परिस्थितियों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनने और देश के लिए गोल्ड लाने का सपना संजोए हुए हैं

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