यह लेख जीवामृत जैविक खाद के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसमें इसके निर्माण, लाभ और उपयोग के बारे में बताया गया है। यह किसानों को विभिन्न जैविक खादों के लाभों के बारे में जागरूक करता है।
जीवामृत एक जैविक खाद है, जो गोबर, पानी और अन्य पदार्थों को मिलाकर बनाया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के लाभकारी सूक्ष्मजीव होते हैं। जीवामृत का उपयोग खेतों में किया जाता है। यह पौधों के विकास और वृद्धि में मदद करता है और साथ ही यह पौधों को बीमारियों से भी बचाता है। इसे बनाने के लिए 100 किलोग्राम देसी गाय का गोबर में 2 किलोग्राम गुड़, 2 किलोग्राम दाल का आटा और 1 किलोग्राम सजीव मिट्टी (बरगद पेड़ के नीचे की मिट्टी या जहां रासायनिक खाद न डाली गई हो) डालकर अच्छी तरह मिश्रण बना लें। इस मिश्रण में
थोड़ा-थोड़ा गोमूत्र डालकर अच्छी तरह गूंथ लें ताकि घनजीवामृत बन जाए।\घनजीवामृत गाय के गोबर में कुछ अन्य सामग्री मिलाकर बनाई जाने वाली एक जैविक खाद है। यह पौधों की वृद्धि और विकास में मदद करता है। घनजीवामृत का उपयोग किसी भी फसल में किया जा सकता है। इसे बनाने के लिए 100 किलो देसी गाय के गोबर को किसी पक्के फर्श या पॉलीथिन पर फैलाएं। अब उस पर 2 किलो देसी गुड़, 2 किलो बेसन और सजीव मिट्टी डालकर मिश्रण बनाएं। थोड़ा-थोड़ा गौमूत्र डालकर अच्छी तरह गूंथ लें। इस तरह तैयार मिश्रण को छाया में 48 घंटों के लिए बोरियों से ढक दें। 48 घंटे बाद इस मिश्रण को अच्छी तरह सुखाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बोरियों में भरकर पैक कर लें।\खेत में आच्छादन या मल्चिंग पद्धति का मतलब है खेत की ऊपरी सतह को किसी दूसरी फसल या फसलों के अवशेषों से ढकना। इससे कई फायदे होते हैं। इससे खेत में नमी बनी रहती है और सिंचाई के अंतराल को बढ़ाया जा सकता है। घास नहीं उगती और खरपतवार नियंत्रित रहते हैं, जिससे खर्चे कम होते हैं और मुनाफा बढ़ता है। सबसे पहले प्लास्टिक के बर्तन में 5 किलोग्राम नीम के पत्ते और 5 किलोग्राम नीम के फल के टुकड़े डालें। इसमें 5 लीटर गोमूत्र व 1 किलोग्राम गाय का गोबर मिलाएं। इन सभी सामग्रियों को डंडे से चलाकर जालीदार कपड़े से ढक दें। यह 48 घंटे में तैयार होगा। 48 घंटे में चार बार डंडे से चलाएं। अब इस घोल में 100 लीटर पानी मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। बीजामृत, देसी गाय के गोबर, गोमूत्र और चूने से तैयार किया जाने वाला एक जैविक खाद है। इसका इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने के लिए किया जाता है। बीजामृत में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु बीजों को रोग मुक्त करते हैं और उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ाते हैं। बीजामृत से उपचारित बीजों में रोग नहीं लगते। इससे उत्पादन बढ़ता है और लागत कम होती है। 5 किलो देसी गाय के गोबर को एक कपड़े में बांध लें और इसे 20 लीटर पानी में 12 घंटे के लिए लटका दें। अगली सुबह गोबर को बार-बार निचोड़ें। एक लीटर पानी में 50 ग्राम चूना मिलाकर एक रात के लिए रख दें। अब गोबर के पानी में मुट्ठी भर मिट्टी डालकर अच्छी तरह हिलाएं। इस घोल में 5 लीटर गोमूत्र मिलाएं और चूने का पानी मिलाकर इस्तेमाल करें
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