जेएनयू ने पीएचडी उम्मीदवारों के बीच भेदभाव के आरोपों को ख़ारिज किया JNU Discrimination PhdCandidates जेएनयू भेदभाव पीएचडी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने सोमवार को उन आरोपों को खारिज किया है कि हाशिये पर रहे वर्गों के पीएचडी उम्मीदवारों के साथ मौखिक परीक्षा के दौरान भेदभाव किया गया और कहा कि वह ‘न्याययुक्त, पारदर्शी और समावेशी प्रवेश नीति’ का अनुपालन करता है.
उल्लेखनीय है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने बीते 12 दिसंबर को आरोप लगाया था कि पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए मौखिक परीक्षा में शामिल हुए कई उम्मीदवारों को संवैधानिक रूप से अनिवार्य आरक्षण नीति का उल्लंघन करते हुए कम अंक दिए गए, खासतौर पर उन विद्यार्थियों को जो हाशिये पर रहने वाले वर्गों से आते हैं.
इसमें कहा गया है कि पीएचडी प्रवेश के लिए जेएनयू प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अन्य श्रेणियों के छात्रों को उनकी संबंधित श्रेणियों में उपलब्ध सीटों की संख्या के आधार पर एक विशेष अनुपात में बुलाया जाता है. इस बात पर जोर देते हुए कि विश्वविद्यालय एक निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी प्रवेश नीति का पालन करता है, जो इसकी सिद्ध शैक्षणिक उत्कृष्टता की नींव है, विश्वविद्यालय ने कहा कि अध्ययन के विभिन्न कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए सरकार की आरक्षण नीति को सख्ती से लागू किया जाता है.