भारत में केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सख्त रूख अपनाया है. झूठे दावे करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं और लाखों रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
जब भी यूपीएससी, नीट या जेईई जैसी किसी प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम सामने आता है तो उसके अगले दिन के अखबार कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों से भरे दिखते हैं. इन विज्ञापनों में बताया जाता है कि अमुक कोचिंग सेंटर के कितने बच्चों ने परीक्षा में सफलता हासिल की. साथ ही परीक्षा में टॉप करने वाले बच्चों के फोटो भी छापे जाते हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि एक ही छात्र का फोटो दो अलग-अलग कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों में दिखाई देता है.
इसे खान स्टडी ग्रुप के एक उदाहरण से समझते हैं. इस कोचिंग सेंटर ने दावा किया था कि यूपीएससी में चयनित हुए 933 अभ्यर्थियों में से 682 इनके यहां के हैं. लेकिन सीसीपीए की जांच में पता चला कि इनमें से 674 अभ्यर्थियों ने तो कभी इस कोचिंग में पढ़ाई की ही नहीं थी. वे सिर्फ कोचिंग सेंटर के मॉक इंटरव्यू प्रोग्राम का हिस्सा थे, जो मुफ्त में उपलब्ध करवाया जाता है. लेकिन सिर्फ इसी चीज के बलबूते पर कोचिंग सेंटर ने उन सभी उम्मीदवारों को अपना बताकर पेश कर दिया.
सीसीपीए ने इन कोचिंग संस्थानों को झूठे या भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने का दोषी माना और ऐसे विज्ञापनों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने का निर्देश दिया. सीसीपीए ने बायजू आईएएस और एएलएस आईएएस पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. खान स्टडी ग्रुप पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगा. इसके अलावा, एनालॉग आईएएस एकेडमी, चहल एकेडमी, इकरा आईएएस इंस्टीट्यूट और राव आईएएस पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया.
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