अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गाजा को लेकर एक ऐसा प्रस्ताव रखा है, जिसने दुनिया भर में हड़कंप मचा दिया है. उन्होंने गाजा से सभी फलीस्तीनियों को जबरन निकालकर इस क्षेत्र को अमेरिका के नियंत्रण में लेने की बात कही है. यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सिद्धांतों को चुनौती देता है और इसे कई देशों ने 'जातीय सफाया' करार दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गाजा को लेकर ऐसा प्रस्ताव दिया है, जिसने दुनिया भर में हड़कंप मचा दिया है. उन्होंने गाजा से सभी फलीस्तीन ियों को जबरन बाहर निकालने और अमेरिका द्वारा इस इलाके को अपने नियंत्रण में लेने की बात कही है. उनके इस बयान को ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जा रहा है, बल्कि कई देशों ने इसे सीधे तौर पर 'जातीय सफाया' करार दिया है. ट्रंप ने पहले तो अपने इस बयान को एक मानवीय समाधान बताया, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों और अरब देशों ने इसे खतरनाक और अवैध करार दिया है.
उनका कहना है कि यह प्रस्ताव लागू हुआ तो इससे पश्चिम एशिया में जारी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किसी भी आबादी को जबरन उनके घरों से निकालना युद्ध अपराध माना जाता है. जिनेवा कन्वेंशन के तहत यह साफ तौर पर प्रतिबंधित है. ट्रंप ने गाजा को 'तबाही का इलाका' बताते हुए कहा कि वहां अब कोई नहीं रह सकता, इसलिए फलीस्तीनियों का स्थायी रूप से कहीं और 'पुनर्वास' किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'आप देख रहे हैं कि गाजा एक पूरी तरह से तबाह हो चुका इलाका है. वहां अब कुछ नहीं बचा. हमें इसे पूरी तरह साफ करना होगा और वहां के लोगों को कहीं और बसाना होगा. कोई विकल्प नहीं है.' इसके अलावा, ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र को अपने कब्जे में ले सकता है और इसे एक नया रूप दे सकता है. जब उनसे पूछा गया कि क्या फलीस्तीनियों को वापस आने दिया जाएगा, तो उन्होंने कहा, 'दुनिया के लोग वहां रहेंगे. यह एक अविश्वसनीय, अंतरराष्ट्रीय जगह होगी... और हां, वहां फलीस्तीनी भी होंगे.' संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मुताबिक, किसी भी देश को सैन्य बल के जरिए किसी इलाके पर कब्जा करने की इजाजत नहीं है. जब पत्रकारों ने इस योजना की वैधता को लेकर सवाल किए, तो ट्रंप ने सीधा जवाब देने से बचते हुए इसे 'फलीस्तीनियों के लिए एक बेहतर विकल्प' बताया. ट्रंप की इस योजना पर अरब देशों ने कड़ा ऐतराज जताया. मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, फलीस्तीनी अथॉरिटी और अरब लीग ने एक साझा बयान जारी कर इसे 'पूरे क्षेत्र के लिए खतरा' बताया. बयान में कहा गया, 'इस तरह के किसी भी कदम से क्षेत्र की स्थिरता को गंभीर खतरा होगा, संघर्ष और बढ़ सकता है, और शांति व सहअस्तित्व की संभावनाएं समाप्त हो सकती हैं.' सऊदी अरब ने साफ कर दिया कि वह फलीस्तीन के लिए एक स्वतंत्र राज्य बने बगैर, इस्राराएल से कोई संबंध नहीं रखेगा. देश के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'सऊदी अरब किसी भी परिस्थिति में फलीस्तीनियों को उनकी जमीन से विस्थापित करने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेगा. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का इस मुद्दे पर रुख पूरी तरह से स्पष्ट और दृढ़ है.' पिछले दिनों में फलीस्तीनी नेताओं ने ट्रंप की इस योजना को 'जबरन विस्थापन' करार दिया. प्रतिबंधित संगठन हमास के प्रवक्ता सामी अबू जुहरी ने कहा, 'ट्रंप के बयान हास्यास्पद और अस्वीकार्य हैं. गाजा को अपने कब्जे में लेने का कोई भी विचार पूरे क्षेत्र में आग भड़का सकता है.' चीन ने भी गाजा में लोगों के जबरन विस्थापन का विरोध किया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान से जब ट्रंप की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, 'चीन हमेशा से मानता है कि गाजा में युद्ध के बाद की शासन व्यवस्था का मूल सिद्धांत फलीस्तीनी प्रशासन होना चाहिए.' उन्होंने इस्राएल-फलीस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो-राज्य समाधान को लेकर चीन के लंबे समय से चले आ रहे समर्थन को दोहराया. इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की योजना पर कोई सीधा बयान नहीं दिया. हालांकि, उनकी सरकार के कुछ अति-राष्ट्रवादी मंत्री इसका समर्थन कर रहे हैं. इस्राएल के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन गविर ने ट्रंप के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा, 'डॉनल्ड, यह हमारी दोस्ती की शुरुआत है. यह गाजा को लेकर अब तक का सबसे अच्छा विचार है. हमें इस पर तुरंत काम करना चाहिए.' कुछ कट्टर दक्षिणपंथी इस्राएली नेता लंबे समय से गाजा से फलीस्तीनियों को हटाने की मांग कर रहे हैं. नेतन्याहू की सरकार के कुछ सदस्य मानते हैं कि गाजा को फिर से इस्राएली बस्तियों में बदला जा सकता है. ट्रंप की योजना को लेकर एक और विवाद छिड़ गया है. उनके मध्य-पूर्व मामलों के दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा, 'ट्रंप एक रियल एस्टेट डीलर हैं, और वह जानते हैं कि जमीन का सही उपयोग कैसे किया जाता है. गाजा में एक शानदार मौका है. इसे मिडल ईस्ट का रिविएरा बनाया जा सकता है.' ट्रंप के दामाद और पूर्व सलाहकार जैरेड कुशनर ने भी कहा था कि गाजा का 'समुद्री किनारा बहुत कीमती है. अगर इसे सही से विकसित किया जाए, तो यह मोनाको से भी बेहतर बन सकता है.' ट्रंप ने भी गाजा को 'बेहतर व्यावसायिक अवसर' बताया, जिससे वहां की जनता को फायदा होगा. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह योजना एक मानवीय संकट को 'रियल एस्टेट डील' की तरह पेश करने की कोशिश है. एक साल से अधिक समय तक चले युद्ध के बाद गाजा का इलाका लगभग तबाह हो चुका है. ट्रंप का यह बयान ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानून को चुनौती देता है, बल्कि इससे पश्चिम एशिया में संघर्ष और गहरा सकता है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक रूप से लागू नहीं हो सकता, लेकिन यह पहले से जटिल शांति प्रक्रिया को और कठिन बना सकता है. इस बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा, 'आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट) द्वारा जारी होने के बावजूद, अमेरिकी सरकार इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का स्वागत कर रही है. इससे साफ है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय न्याय का अनादर कर रहा है.' बार्न आउल एक अनोखा शिकारी है. सफेद पंखों वाले इस उल्लू के कारण अरब और इस्राएल के वैज्ञानिक सहयोग की मेज पर साथ आ गए
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