डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद टैरिफ प्रतिबंधों पर खास तौर पर ब्रिक्स देशों पर चर्चा तेज हो गई है। ट्रंप ने बार-बार चीन, मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इस फैसले का शेयर बाजार पर भारी असर पड़ रहा है। इस खबर में हम जानेंगे कि ट्रंप के टैरिफ फैसले का असर किस देश पर पड़ेगा और इसके पीछे क्या कारण है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही टैरिफ प्रतिबंधों पर चर्चा तेज हो गई। ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीतने से लेकर अब तक लगातार धमकी देते आ रहे हैं कि ब्रिक्स देश- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका टैरिफ बढ़ाने और डॉलर छोड़ नई करेंसी में व्यापार करने पर विचार कर रहे हैं। अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा। राष्ट्रपति ट्रंप के बार-बार दिए जा रहे, इस बयान से शेयर बाजार में उथल-पुथल शुरू हो गई। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार घाटे को
लेकर करवाई शुरू करते हुए 1 फरवरी को चीन पर 10%, कनाडा और मैक्सिको पर टैक्स 25% टैरिफ लगा दिया। साथ ही ट्रंप ने धमकी दी कि अगर किसी देश ने जवाबी कार्रवाई की तो टैरिफ और बढ़ा दिया जाएगा। रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (RIS) की मानें तो चीन, मैक्सिको और कनाडा का अमेरिकी व्यापार घाटे में सबसे ज्यादा योगदान है। ट्रंप के इस फैसले का क्या होगा असर? राष्ट्रपति ट्रंप चीन, मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ लगाने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया था। इसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ रहा है, क्योंकि भारत भी ब्रिक्स का हिस्सा है। ट्रंप के इस फैसले की क्या है वजह? पिछले कुछ सालों से अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के जरिये मिलने वाली नौकरियां घट गई हैं। इसके पीछे की पहली वजह है- फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी कम टैरिफ पर आयात को बढ़ावा मिलना है। ट्रंप अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना चाहते हैं, इसलिए वह बार-बार व्यापारिक साझेदार देशों पर टैरिफ बढ़ाने की बात कर रहे हैं। ट्रंप अपने पिछले कार्यकाल में भी इस तरह के फैसले ले चुके हैं। दूसरी वजह है- जब कोई व्यापारी सामान आयात कर घरेलू बाजार में बेचता है तो उस सामान पर आयात शुल्क या कस्टम ड्यूटी के तौर पर कुछ टैक्स लगता है, जिसे ही टैरिफ कहा जाता है। यह नियम निर्यात पर भी लागू होता है। सरकारें घरेलू बाजारों को प्राथमिकता देने के लिए टैरिफ लगाती हैं। आप इसे समझिए- अगर कोई विदेशी वस्तु कम कीमत पर बाजार में उपलब्ध होगी तो घरेलू सामान खरीदने वालों की संख्या कम हो जाएगी। टैरिफ से सरकार की आय भी होती है और घरेलू बाजार को प्राथमिकता भी मिलती है। ट्रंप भी यही कर रहे हैं। टैरिफ यानी कर लगाने की व्यवस्था कब शुरू हुई? टैरिफ यानी कर लगाना की नई व्यवस्था नहीं है, यह सैकड़ों साल पुरानी व्यवस्था है। अगर पुरानी व्यवस्था को देखें तो पहले जब व्यापारी अन्य देशों में व्यापार करने के लिए अपना माल लेकर जाते थे तो दूसरे देशों के बंदरगाहों पर उनसे कर यानी टैरिफ वसूला जाता था। मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं में भी टैरिफ की व्यवस्था हुआ करती थी, पुराने दस्तावेजों में इसका जिक्र मिलता है। आयात और निर्यात कर के साक्ष्य भारत में चौथी शताब्दी में मौर्य साम्राज्य के दौर में भी देखने को मिलते हैं। यह भी पढ़ें- जहां मिलता है हिंद और प्रशांत महासागर, वहां गायब हो गया अलास्का का विमान, यात्रियों की खोजबीन जारी पहली बार कहां लगाया गया था टैरिफ? हां, अगर पुरानी सभ्यता में कर लगाने के साक्ष्य हैं। अब अगर आधुनिक व्यवस्था में टैक्स लगाने की बात करें तो इसकी शुरुआत यूनाइटेड किंगडम (UK) से हुई। साल 1275 की बात है। एडवर्ड प्रथम ने कस्टम ड्यूटी की शुरुआत की। इसके तहत बंदरगाहों पर व्यापारिक वस्तुओं पर शुल्क वसूला जाता था। भारत में पहली बार टैरिफ व्यवस्था लागू करने के लिए 16 फरवरी 1923 को टैरिफ बोर्ड का गठन किया गया था। जब आजादी मिली तो देश में सरकार ने आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए उच्च आयात शुल्क लागू किया। हालांकि, साल 1991 में इसमें छूट दी गई और घरेलू बाजार अन्य देशों के व्यापारियों के लिए भी खोल दिया गया। यह भी पढ़ें- ढीले पड़े ट्रंप के तेवर, चीन पर टैरिफ लगाने का आदेश रोका; कनाडा और मेक्सिको को भी मिल चुकी राह
ट्रंप टैरिफ व्यापार घाटे ब्रिक्स देश शेयर बाजार अमेरिका चीन मैक्सिको कनाडा
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
अमेरिका के टैरिफ से भारतीय बाजार में भूचालसोमवार को अमेरिका के चीन, कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ लगाने के बाद भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 731.91 अंक गिरकर 76,774.05 अंक पर आ गया, जबकि निफ्टी 243 अंक गिरकर 23,239.15 अंक पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया भी 54 पैसे टूटकर 87.16 डॉलर के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर आ गया।
और पढो »
अमेरिकी टैरिफ से लाल निशान में खुला शेयर बाजार, मिडकैप और स्मॉलकैप में बिकवालीअमेरिकी टैरिफ से लाल निशान में खुला शेयर बाजार, मिडकैप और स्मॉलकैप में बिकवाली
और पढो »
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले शेयर बाजार में सपाट कारोबारडोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले शेयर बाजार में सपाट कारोबार
और पढो »
ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावटअमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, कनाडा और मैक्सिको से आयात पर लगाए अतिरिक्त टैरिफ के कारण अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। दुनिया भर के वित्तीय बाजार गिर रहे हैं क्योंकि संभावित व्यापार युद्ध की आशंका से निवेशकों में भय फैल गया है।
और पढो »
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ को लेकर धमकी, भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर क्या होगा इसका असरडोनाल्ड ट्रंप ने भारत के अलावा चीन और ब्राजील से आयात होने वाली वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है. लेकिन, भारत को उम्मीद है कि फरवरी में व्हाइट हाउस में पीएम नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुलाकात के दौरान टैरिफ का मुद्दा सुलझ जाएगा.
और पढो »
ट्रंप की टैरिफ़ योजना का चीन, मैक्सिको, कनाडा और यूरोपीय संघ पर क्या होगा असरडोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही एक बार फिर से कुछ देशों पर भारी-भरकम टैरिफ़ लगाने की बात कही है. ये टैरिफ़ क्या होते हैं और ये किसी देश पर क्या असर करते हैं?
और पढो »