अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन डब्ल्यूएचओ से हटने की योजना बना रहे हैं। विशेषज्ञों ने इस फैसले के गंभीर परिणामों पर चिंता जताई है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ ) से हटने का फैसला कर सकते हैं। इसके लिए उनकी टीम तैयारी कर रही है। हालांकि, विशेषज्ञों ने इस फैसले के बाद सामने आने वाली चुनौतियों और खतरे के प्रति आगाह किया है। वाशिंगटन में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर व राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य पर डब्ल्यूएचओ सहयोग केंद्र के निदेशक लॉरेंस गोस्टिन ने कहा, 'मुझे यह अच्छी तरह से पता है कि वह अपने प्रशासन से शायद
पहले ही दिन या बहुत पहले ही हटने की योजना बना रहे हैं।' फाइनेंशियल टाइम्स ने सबसे पहले दो विशेषज्ञों का हवाला देते हुए योजना पर रिपोर्ट दी थी, लेकिन व्हाइट हाउस के पूर्व कोविड-19 प्रतिक्रिया समन्वयक आशीष झा टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। ट्रंप की टीम ने टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया। ट्रंप के डब्ल्यूएचओ से हटने से अमेरिकी स्वास्थ्य नीति में होगा बड़ा बदलाव: विशेषज्ञ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रंप डब्ल्यूएचओ से हटते हैं, तो यह अमेरिकी स्वास्थ्य नीति में बड़ा बदलाव होगा और अमेरिका को वैश्विक महामारी से लड़ने के प्रयासों से अलग कर देगा। ट्रंप ने संगठन के कई आलोचकों को अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष पदों पर नामित किया है, जिसमें रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर भी शामिल हैं, जो स्वास्थ्य और मानव सेवा सचिव के पद के लिए खड़े हैं। वह सीडीसी और एफडीए समेत सभी प्रमुख अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसियों की देखरेख करते हैं। ट्रंप ने 2020 में शुरू की थी डब्ल्यूएचओ से हटने की प्रक्रिया ट्रंप ने 2020 में डब्ल्यूएचओ से हटने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस फैसले को रोक दिया था। ट्रंप ने तर्क दिया है कि डब्ल्यूएचओ कोविड-19 के शुरुआती प्रसार के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने में विफल रहा है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ को बार-बार चीन की कठपुतली करार दिया है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता ने नहीं की टिप्पणी हालांकि, डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता ने इस पर सीधे टिप्पणी नहीं की, लेकिन महानिदेशक टेड्रोस एडनोम गेब्रेयेसस ने कहा कि अमेरिका को डब्ल्यूएचओ में बने रहने की जरूरत है। उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि राज्य मई 2025 तक एक महामारी समझौते को अंतिम रूप दे सकते हैं। गोस्टिन
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