डीपफेक तकनीक: खतरा और बचाव

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डीपफेक तकनीक: खतरा और बचाव
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इस लेख में डीपफेक तकनीक के खतरों और इसके दुरुपयोग से बचाव के उपायों पर चर्चा की गई है।

आधुनिक तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बनाया है, लेकिन इसके खतरनाक पहलू भी सामने आ रहे हैं। इनमें से एक है डीपफेक तकनीक, जिसे अब साइबर अपराधी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तकनीक से किसी भी व्यक्ति की छवि या वीडियो को आपत्तिजनक सामग्री में बदलकर उसे बदनाम किया जा सकता है। विशेष रूप से, महिलाओं की तस्वीरों और वीडियो का डीपफेक तकनीक के जरिए तेजी से दुरुपयोग हो रहा है। यह तकनीक ब्लैकमेलिंग, बदनाम करने और झूठी खबरें फैलाने के लिए भी इस्तेमाल की जाती है। डीपफेक तकनीक का प्रभाव केवल आम

लोगों तक सीमित नहीं है। राजनेताओं और मशहूर हस्तियों के खिलाफ झूठे वीडियो बनाकर उनकी छवि खराब करने के मामले भी सामने आ चुके हैं। इसके अलावा, यह तकनीक वित्तीय धोखाधड़ी और फर्जी पहचान बनाने जैसे अपराधों में भी उपयोगी साबित हो रही है। डीपफेक तकनीक के बढ़ते खतरों को देखते हुए इसके दुरुपयोग से बचने के लिए कुछ सावधानियां बेहद जरूरी हैं। सोशल मीडिया पर अपनी निजी तस्वीरें और वीडियो साझा करने से बचें। आप निजी तस्वीरों और वीडियो जैसे डेटा पर प्राइवेसी लॉक लगा सकते हैं। अपने प्रोफाइल को प्राइवेट करके उसका दायरा सीमित कर सकते हैं। एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर और साइबर सुरक्षा ऐप्स का उपयोग करें। ये ऐप्स डीपफेक और अन्य साइबर खतरों से बचाव में सहायक हो सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी अनजाने लिंक या अनजाने सोर्स से भेजे गए मैसेज या लिंक पर क्लिक करने से बचें। अगर आपको अपनी छवि या सामग्री के दुरुपयोग का संदेह हो, तो साइबर अपराध विभाग से संपर्क करें। Deepware और Sensity AI जैसे टूल्स की मदद से डीपफेक वीडियो की पहचान की जा सकती है। डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए साइबर जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस तकनीक के दुरुपयोग पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे

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