डोनाल्ड ट्रंप के लगाए अमेरिकी टैरिफ़ से बचने के लिए चीनी कंपनियां क्या कर रही हैं?

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ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौर से ही चीन और अमेरिका का कारोबारी संबंध काफ़ी प्रभावित हुआ है. ट्रंप की व्हाइट हाउस में दूसरी बार वापसी से कई चीनी कंपनियों के सामने अनिश्चितता की स्थिति नज़र आ रही है.

ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी चीन और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ा थाअमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा है कि ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद शनिवार से मेक्सिको पर 25%, कनाडा पर 25% और चीन पर 10% टैरिफ लगाने की घोषणा की है.

चीन के पूर्वी तट पर मौजूद एक कारख़ाने में कंप्रेस्ड हवा की मार से चमड़े को आकार दिया जाता है, इसी की मदद से अमेरिकी काउबॉय बूट अपने असल रूप में दिखता है. इससे चीनी कारोबार भी अपने सप्लाई चेन को नया आकार देते हुए आगे बढ़ रहे हैं, हालाँकि चीन अब भी एक प्रमुख खिलाड़ी बना हुआ है. वो अभी भी साल 2019 के असर से उबर नहीं पाए हैं, जब ट्रंप के पहले कार्यकाल में टैरिफ़ के चौथे दौर में 15% टैरिफ़ ने चीन में बनी उपभोक्ता वस्तुओं, जैसे कपड़े और जूते पर असर डाला था.

यही वह बात है जिसने चीन को दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता बना दिया. श्रम आधारित उत्पादन जो कि बड़े पैमाने पर होने की वजह से सस्ता भी है और एक बेहतरीन सप्लाई चेन पर आधारित है और जिसे बनने में कई साल लगे हैं. ये उन अरबों डॉलर के सामान में से एक है, जो चीन हर साल अमेरिका को निर्यात करता है. यह संख्या लगातार बढ़ती गई, क्योंकि अमेरिका चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया.

चीन इस तरह की बयानबाज़ी को अपने विकास को रोकने के पश्चिमी प्रयासों के रूप में देखता है, और उसने बार-बार अमेरिका को चेतावनी दी है कि व्यापार युद्ध में किसी की जीत नहीं होगी.राष्ट्रपति ट्रंप, जिन्होंने टैरिफ़ को चीन पर अपनी "एक बड़ी ताक़त" बताया है, वो भी निश्चित रूप से बातचीत करना चाहते हैं. चाहे जो भी डील हो इससे अमेरिका-चीन संबंधों को फिर से पटरी पर लाने में मदद मिल सकती है. हालांकि एक डील के न होने से ट्रंप और शी के बीच कहीं अधिक टकरावपूर्ण संबंध बन सकते हैं.

यह कंबोडिया में उनकी दूसरी फैक्ट्री है, जिनमें शर्ट से लेकर अंडरवियर तक हर महीने पाँच लाख कपड़े बनते हैं. लेकिन, उनका कहना है कि आमतौर पर यह सप्लाई करने वालों पर निर्भर करता है. अगर उनकी उत्पादन लाइन चीन में होती, तो उनका अनुमान है कि अतिरिक्त 10% टैरिफ़ उनकी आय को अतिरिक्त आठ लाख डॉलर घटा सकता था. उनके आस-पास कई नए कारख़ाने खुल गए हैं और शांदोंग, झेजियांग, चंग्सू और ग्वांगडोंग जैसे कपड़ा उत्पादन के गढ़ों से चीनी कंपनियाँ सर्दियों के जैकेट और ऊनी कपड़े बनाने के लिए यहाँ आ रही हैं.

हालांकि कंबोडिया इसका अकेला लाभार्थी नहीं है. चीन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड पहल के तहत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारी निवेश किया है - यह एक व्यापार और बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजना है जो चीन के प्रभाव को भी बढ़ाती है.चीनी सरकारी मीडिया का दावा है कि चीन का आधे से अधिक आयात और निर्यात अब बेल्ट एंड रोड देशों से होता है, जिनमें से अधिकांश दक्षिण पूर्व एशिया में हैं.

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