डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल: भारत, सऊदी अरब और दुनिया पर इसका क्या असर होगा?

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भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों में टैरिफ़ वॉर का ख़तरा बढ़ सकता है, क्योंकि ट्रंप 'अमेरिका फ़र्स्ट' नीति को बढ़ावा दे रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत, सऊदी अरब और दुनियाभर में इसका क्या असर होगा.

दुनिया में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले देश के राष्ट्रपति का कार्यकाल न केवल उस देश की नीतियों को प्रभावित करता है, बल्कि इसका वैश्विक स्तर पर भी दूरगामी असर होता है.20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करेंगे. इस बार उनके साथ उप-राष्ट्रपति के रूप में जेडी वांस कार्यभार संभालेंगे.

बीबीसी हिन्दी के साप्ताहिक कार्यक्रम, 'द लेंस' में कलेक्टिव न्यूज़रूम के डायरेक्टर ऑफ़ जर्नलिज़्म मुकेश शर्मा ने इन सभी सवालों पर चर्चा की. उनके मुताबिक़, "इस लेख में कहा गया है कि जो काम जो बाइडन अपने कार्यकाल के दौरान नहीं कर पाए, वही ट्रंप के एक विशेष दूत ने केवल एक मुलाक़ात में इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के साथ पूरा कर दिखाया."

हालांकि हरिंदर मिश्रा का ये भी कहना है कि, "ट्रंप के संभावित फ़ैसलों का अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल बना रहेगा. यह हर किसी को सतर्क रखेगा कि उनके रुख़ के बारे में अभी कोई स्पष्टता नहीं है और यह अनिश्चितता बनी रहेगी." उन्होंने यह भी कहा, "यह संघर्ष विराम समझौता 30 मई को हुआ था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था. अब देखना यह होगा कि यह नया प्रयास कितनी दूर तक जाता है."अब्राहम समझौते के तहत इसराइल को संयुक्त अरब अमीरात, मोरक्को, सूडान और बहरीन से मान्यता मिली और इसके लिए अमेरिका ने इन देशों को कई प्रस्ताव दिए.

इस पर कूटनीतिक विश्लेषक राजीव नयन ने ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के संदर्भ में सऊदी अरब और अन्य अरब देशों के भविष्य के रुख़ पर चर्चा करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में फ़लस्तीन और अरब देशों के पक्ष में बहुत बड़ा परिवर्तन होने की संभावना नहीं है. जहां अमेरिका का वर्चस्व है, वहीं इसराइल का भी वर्चस्व रहेगा."

राजीव नयन ने कहा, "इन देशों के लिए यह चुनौती है कि वे अपने वैकल्पिक राजनीतिक दृष्टिकोण को लेकर इसराइल पर ज़्यादा दबाव नहीं बना पाएंगे, क्योंकि इन देशों की शक्ति और उनके पीछे कौन खड़ा है, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा.

राजीव नयन ने आगे कहा, "ट्रंप में क्षमता है कि बातचीत के ज़रिए कोई रास्ता निकाल सकते हैं. हो सकता है कि एक-दो दिन में रास्ता न निकले, लेकिन 5-6 महीने के अंदर आप आमूल परिवर्तन देखेंगे."अमेरिका क्या ग्रीनलैंड पर करेगा हमला, ट्रंप के बयान के बाद ये हैं चार संभावनाएंइमेज कैप्शन, उन्होंने आगे कहा, "अगर हम कहते हैं कि भारत विश्व में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो कोई हमारे साथ उस तरह से समझौता नहीं करेगा. हमें देखने की ज़रूरत है कि कहां पर हम अपने आप को मज़बूत कर सकते हैं."

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