तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को लेकर SC ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट के आदेश के अनुसार अब तलाकशुदा मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता की हकदार है, इसलिए वो पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है.
तलाकशुदा मुस्लिम महिला ओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अब तलाकशुदा मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता की हकदार है, इसलिए वो पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है. फैसले में ये भी कहा गया है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला CrPC की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता का अधिकार मांग सकती हैं. इस धारा के तहत महिलाएं गुजारा भत्ता के लिए याचिका दायर कर सकती है.
1 जुलाई से देश में क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय न्याय सुरक्षा सिंहता ने ले ली है. इस नए कानून बीएनएसएस की धारा 144 में वही सब प्रावधान हैं, जो सीआरपीसी की धारा 125 में थे. इस धारा के तहत भरण-पोषण देने के प्रावधान हैं. इसमें बताया किया गया है कि अगर कोई भी व्यक्ति साधन संपन्न है और उसके पास भरण पोषण के पर्याप्त साधन हैं, तो वो पत्नी, बच्चों और परेंट्स को भरण पोषण देने से इनकार नहीं कर सकता है.
साथ ही सीआरपीसी की धारा 125 में पत्नी को डिफाइन किया गया है. इसमें बताया गया है कि पत्नी का अर्थ कानून रूप से विवाहित महिला है. विवाह की वैधता व्यक्तिगत कानूनों द्वारा नियंत्रित होगी. अगर कानूनी रूप से वैध विवाह का तथ्य विवादित है, तो आवेदक को विवाह साबित करना होगा. इसमें एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर की गई शादी को अमान्य करार दिया गया है.
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