वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई और कहा कि चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, जबकि भारत अभी तेजस के अधिग्रहण का इंतजार कर रहा है। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में समय की महत्ता पर जोर दिया और उत्पादन क्षमता, अनुसंधान और विकास, और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, जबकि हम अभी भी भारत में बन रहे तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण का इंतजार कर रहे हैं। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में समय बेहद अहम होता है और अगर समयसीमा का ख्याल न रखा जाए तो तकनीक का फिर कोई उपयोग नहीं होता। तेजस मिलने में वर्षों की देरी पर वायुसेना प्रमुख क्या बोले 21वें सुब्रतो मुखर्जी
सेमिनार में वायुक्षेत्र में आत्मनिर्भरता विषय पर बोलते हुए वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा कि 'साल 2016 में हमने तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी। साल 1984 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। इसके 17 साल बाद वायुयान ने उड़ान भरी। इसके 16 साल बाद तेजस को वायुसेना में शामिल करने की शुरुआत हुई। आज हम 2025 में हैं और हमें अभी भी पहले 40 विमानों का इंतजार है। ये हमारी उत्पादन क्षमता है।' एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि 'हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है और हमारे पास कई स्त्रोत होने चाहिए, ताकि लोगों को यह डर रहे कि उनका ऑर्डर छिन भी सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात नहीं बदलेंगे।' उन्होंने कहा कि 'क्षमता निर्माण बेहद अहम है। उत्पादन इकाइयों को आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया में निवेश बढ़ाना चाहिए और साथ ही अपने कार्यबल को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।' 'तकनीक समय पर न मिले तो अपनी उपयोगिता खो देती है' एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि 'हमें अनुसंधान और विकास में ज्यादा राशि आवंटित करने और रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। हमें अपनी असफलताओं से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए और इससे डरना नहीं चाहिए। हम अभी अनुसंधान और विकास में रक्षा बजट का पांच प्रतिशत खर्च कर रहे हैं, जबकि इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाना चाहिए। अगर अनुसंधान और तकनीक समय पर पूरी न हो सके तो वे अपनी उपयोगिता खो देते हैं। रक्षा क्षेत्र में समय बेहद अहम होता है।' उल्लेखनीय है कि तेजस लड़ाकू विमानों का उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। चीन बना रहा छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान भारत के तेजस लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के है
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तेजस विमानों में देरी पर वायुसेना प्रमुख चिंतितभारत की वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, जबकि भारत अभी भी तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण का इंतजार कर रहा है।
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तेजस विमानों में देरी पर वायुसेना प्रमुख ने जताई गहरी चिंतावायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, जबकि भारत अभी भी तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण का इंतजार कर रहा है।
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वायुसेना प्रमुख ने तेजस विमानों में देरी पर जताई चिंतावह कहते हैं कि चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, जबकि भारत अभी भी तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण का इंतजार कर रहा है। एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में समय अत्यंत महत्वपूर्ण है और समय सीमा का पालन न करने पर तकनीक बेकार हो जाती है।
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भारतीय वायुसेना प्रमुख ने तेजस के उत्पादन में देरी पर जताई चिंताएयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि लड़ाकू विमान तेजस का उत्पादन धीमा है और चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के कारण यह चिंता का विषय है। उन्होंने निजी कंपनियों को तेजस प्रोजेक्ट में शामिल करने की बात कही ताकि उत्पादन में तेजी लगे और गुणवत्ता में सुधार हो।
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