जर्मन इंजीनियरिंग और स्टील उत्पादन समूह थिसेनक्रुप भारतीय नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों का निर्माण करने को तैयार है. इसके लिए अरबों डॉलर का सौदा होने जा रहा है.इस समूह के जहाज निर्माण विभाग को थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) के नाम से जाना जाता है. कंपनी ने अनुबंध के लिए भारत के सरकारी स्वामित्व वाली मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (एमडीएस) के साथ मिलकर काम किया.
थिसेनक्रुप के साथ छह डीजल पनडुब्बियों के लिए समझौता हुआ है, जिन्हें आधुनिक तकनीक से बनाया जाएगाजर्मन इंजीनियरिंग और स्टील उत्पादन समूह थिसेनक्रुप भारतीय नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों का निर्माण करने को तैयार है. इसके लिए अरबों डॉलर का सौदा होने जा रहा है.इस समूह के जहाज निर्माण विभाग को थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के नाम से जाना जाता है. कंपनी ने अनुबंध के लिए भारत के सरकारी स्वामित्व वाली मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के साथ मिलकर काम किया.
हालांकि, जरूरी नहीं है कि यह सौदा इस बात का संकेत हो कि रूसी सैन्य आयात पर भारत की निर्भरता जल्द ही कम हो जाएगी. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2019 से 2023 तक भारत के रक्षा आयात में रूस की हिस्सेदारी 36 फीसदी थी, जो किसी भी एक देश से सबसे अधिक है. डीडब्ल्यू से बातचीत मेंउन्होंने सहयोग के एक और उदाहरण के तौर पर भारत में स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण के लिए फ्रांस और भारत के बीच हाल ही में हुए समझौते की ओर इशारा किया. जर्मनी भी भारत को बड़ी मात्रा में हथियार निर्यात कर रहा है. 2024 के पहले छह महीनों में, भारत जर्मनी से हथियार पाने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश था. इन हथियारों की कीमत करीब 16 करोड़ डॉलर थी.
टीकेएमएस ने कहा है कि वह नई पनडुब्बियों की इंजीनियरिंग और डिजाइनिंग में मदद करेगा, जबकि एमडीएस उन्हें भारत में बनाएगा. थिसेन क्रुप भारतीय नौसेना के साथ लंबे समय से जुड़ा हुआ है. टीकेएमएस के स्वामित्व वाली एक पूर्व शिपबिल्डर होवाल्ड्टसवेर्के-डॉयचे वेर्ने 1980 के दशक में भारत के लिए चार पनडुब्बियां बनाई थी. इनमें से दो जर्मन शहर कील और दो मुंबई में बनाई गई थी.सुशांत सिंह का कहना है कि इस नए सौदे में ‘कुछ भी नया नहीं' है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने भारत में बने दो युद्धपोतों और एक पनडुब्बी के लॉन्च के मौके पर कहा था कि भारत अब दुनिया की एक प्रमुख समुद्री शक्ति बन रहा हैथिसेनक्रुप के साथ यह सौदा मोदी के घरेलू निर्माण अभियान के मुताबिक है, क्योंकि पनडुब्बियां भारत में ही बनाई जाएंगी. हालांकि, एसआईपीआरआई के सबसे हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है, 2019 और 2023 के बीच दुनिया भर में बेचे गए हथियार का लगभग 10 फीसदी हिस्सा भारत आया है.
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