वैसे तो बहुत सामान्य सी बात है कि चुनावों मे सभी दलों में असंतुष्ट पार्टी छोड़ते हैं और दूसरे दलों से लोग आते हैं. पर जब कद्दावर लोग बड़ी मात्रा में असंतुष्ट होने लगे तो सवाल तो उठेंगे ही. हो सकता है कि आम आदमी पार्टी में भी ऐसा किसी रणनीति के तहत हो रहा हो पर जनता के बीच बातें तो होंगी ही.
दिल्ली में होने वाला विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए बहुत अहम है. इन चुनावों में जीत हासिल करना आम आदमी पार्टी के लिए जिसके तमाम नेता भ्रष्टाचार और अन्य आपराधिक मामलों में फंसे हुए हैं जीवन मरण का प्रश्न है. विधानसभा चुनावों में जीत से पार्टी को जनता की अदालत में पाक साफ बरी होने का प्रमाण मिल जाएगा. कांग्रेस अगर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ती है तो उसके लिए यह चुनाव खुद को साबित करने का जरिया बनने वाला है.
' प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि हर राजनीतिक दल को अपना प्रत्याशी चुनने का अधिकार है, लेकिन जिस तरीके से आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल विधायकों को बदल रहे हैं और उनके साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, वह चौंकाने वाला है.2-चुनाव लड़ने से मना करने का मतलब है कि जमीनी स्थिति खराब हो रही हैहो सकता है कि इन नेताओं को अपने टिकट कटने का अहसास होने के चलते निराशा में ये पार्टी से दूरी बना रहे हों.
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