भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराकर सत्ता पर कब्जा कर लिया है। बीजेपी ने महिलाओं और बुजुर्गों को पेंशन और गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता जैसे महत्वाकांक्षी वादे किए हैं। लेकिन इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार को भारी खर्च करना होगा, जिससे वित्तीय चुनौतियां उभर रही हैं।
नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को हराकर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा कर लिया है। अरविंद केजरीवाल को मात देने के लिए भाजपा ने मतदाताओं से कई महत्वाकांक्षी वादे किए। इनमें महिलाओं और बुजुर्गों को हर महीने पेंशन देना और गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रमुख है। केजरीवाल सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखने और भाजपा द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए नई सरकार को करीब 25000 करोड़ रुपये सालाना खर्च करना होगा। इसीलिए अब यह सवाल भी उठ रहा है कि इस भारी-भरकम रकम
का जुगाड़ कहां से होगा। दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में कुल कर राजस्व संग्रहण का अनुमान 58,750 करोड़ रुपये लगाया है, जबकि पिछले साल यह 53,680 करोड़ रुपये था। नई दिल्ली का चालू वित्त वर्ष का बजट 76,000 करोड़ रुपये का है। बजट में सबसे शिक्षा के लिए सबसे ज्यादा पैसा (16,396 करोड़ रुपये) दिया गया है। इसके बाद आवास और शहरी विकास के लिए 9,800 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए 8,685 करोड़ रुपये, परिवहन अवसंरचना के लिए 7,470 करोड़ रुपये, जल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए 7,195 करोड़ रुपये और सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिए 6,694 करोड़ रुपये रखे गए हैं। खास बात यह है कि सरकार को जो आय होती है उसका दो-तिहाई से अधिक हिस्सा वेतन और स्थापना लागत पर खर्च हो जाता है। यही कारण है कि पिछले साल वित्त विभाग ने पहली बार घाटे में जाने की चिंता व्यक्त की थी। करों, गैर-कर स्रोतों और केंद्रीय प्राप्तियों से राजस्व में गिरावट का अनुमान चालू वित्त वर्ष में है। इन मदों से राजस्व प्राप्तियां 2024-25 वित्तीय वर्ष के अंत तक 64,142 करोड़ रुपये से 62,415 करोड़ रुपये तक हो सकती हैं
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