दिल्ली में जाटों की राजनीतिक अहमियत को रेखांकित करते हुए खबर बताती है कि यहाँ जाटों की संख्या कम होने के बावजूद, वे कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। दिल्ली के 225 सीमावर्ती गांवों में जाटों की अच्छी संख्या होने से वे उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्रों में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। सभी पार्टियां जाटों को अपनी ओर खींचने के प्रयास में लगी हुई हैं, जिसमें भाजपा और आप सबसे आगे हैं।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली । दिल्ली की राजनीति में जाट ों का विशेष महत्व है। यहां की सीमा हरियाणा के साथ लगती है। सीमावर्ती 225 गांवों में जाट ों की अच्छी संख्या है। इस कारण कई विधानसभा क्षेत्रों में ये निर्णायक भूमिका में हैं। यहां के कुल मतदाताओं में इनकी हिस्सेदारी तो मात्र सात से आठ प्रतिशत है, लेकिन, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली , पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में इनकी संख्या अधिक होने से राजनीति क अहमियत बढ़ जाती है। यही कारण है कि सभी पार्टियां इन्हें अपने साथ जोड़ने के प्रयास में...
पार्टी ने इन सीटों पर अच्छी बढ़त बनाई थी। नगर निगम चुनाव में भी जाट बहुल वार्डों ने भाजपा का प्रदर्शन संतोषजनक रहा था। कुछ माह पूर्व पड़ोसी राज्य हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भी जाट क्षेत्रों में भाजपा ने जीत प्राप्त की है। इससे भाजपा जाटों के दबदबे वाले क्षेत्रों को लेकर आशांवित है। पार्टी इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली रैली भी उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में हुई है। केंद्रीय कृषि...
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