बीजेपी ने दिल्ली में शानदार जीत दर्ज की है। आम आदमी पार्टी का किला ढह गया है, और बीजेपी ने राजधानी में वापसी की है।
दिल्ली में बीजेपी के 27 साल के वनवास का अंत हो गया है। प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी ने राजधानी में वापसी की है। पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी का किला ढह गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल , सरकार में नंबर दो रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन समेत कई मंत्री और पार्टी के दिग्गज नेताओं ने अपनी सीट गंवाई। वहीं सीएम आतिशी हारते-हारते जीतीं हैं। आखिरी राउंड में बनी बढ़त से वह बीजेपी के रमेश बिधूड़ी से मामूली अंतर से जीतीं। ग्रेटर कैलाश से
चुनाव लड़ रहे कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज भी हार गए हैं। इस चुनाव में बीजेपी को दिल्ली की जनता का खूब आशीर्वाद मिला है। बीजेपी को इस चुनाव में 70 सीटों में से 48 सीटों पर जीत मिली। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में बीजेपी को बहुमत से अधिक 12 सीटें मिली।\लोकसभा नतीजों के बाद बीजेपी ने पकड़ी जीत की रफ्तार। लोकसभा चुनाव में अकेले स्पष्ट बहुमत न आने से राजनीतिक गलियारों में माना जाने लगा था कि बीजेपी के विजयरथ में बाधाएं आएंगी। आप समेत विपक्षी दल इसे लेकर अति आत्मविश्वास में आ गए। वहीं, बीजेपी ने जमीनी मेहनत से हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। पीएम मोदी की लोकप्रियता को कम आंकने वालों को इन नतीजों से झटका लगा है।\भाजपा ने बनी धारणाएं सुधारने की महारत से आप को पटखनी दी। धार्मिक ध्रुवीकरण से दूरी बनाई, पूरा चुनाव केजरीवाल व आप के भ्रष्टाचार मुद्दे पर लड़ा। शराब व शीशमहल की काट आप को नहीं मिली। इसी दौरान, केंद्र ने 8वें वेतन आयोग की घोषणा की। बजट में मध्य वर्ग को आयकर छूट की घोषणा से भाजपा ने जीत की ओर दौड़ लगा दी। आम चुनाव के बाद कमजोर कांग्रेस कांग्रेस ने आम चुनाव में 99 सीटें जीत भाजपा को बहुमत से तो रोक दिया, पर उसके बाद लगातार नीचे जा रही है। हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में उम्मीद से कम प्रदर्शन किया। अब दिल्ली में भी हार की हैट्रिक लगाई। मुस्लिमों का समर्थन ही पर्याप्त नहीं दिल्ली चुनाव में भाजपा ने हिंदुत्व पर अधिक जोर नहीं दिया, तो मुसलमानों को आकर्षित करने की भी कोशिश नहीं की। नतीजों से लगता है कि मुसलमानों ने आप के नरम हिंदुत्व को नजरअंदाज किया और भाजपा को भी वोट दिया। लेकिन आप या किसी भी पार्टी के लिए दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए सिर्फ मुसलमानों का समर्थन ही पर्याप्त नहीं है
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