आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह ख़ान पिछले 10 साल से ओखला के विधायक हैं. अब तक यहां बीजेपी और आप का सीधा मुक़ाबला था लेकिन ओवैसी के आने से लड़ाई दिलचस्प हो गई है.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली की दो सीट- ओखला और मुस्तफ़ाबाद पर उम्मीदवार उतारे हैं. दोनों उम्मीदवार दिल्ली दंगों के अभियुक्त हैं
ओखला विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है. यहां 50 फ़ीसद से अधिक निर्णायक मुस्लिम मतदाता हैं. बीते दो चुनाव में यहां आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुक़ाबला रहा है. इस बार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी यहां से चुनाव लड़ रही है, जिससे चुनाव दिलचस्प हो गया है.
मोहम्मद सालिब बताते हैं, "यहाँ तीन मुस्लिम उम्मीदवार हैं. हमारे वोट न बँटे इसलिए हम चाहते हैं कि मुसलमान अमानत को ही वोट दें. यहां 50 प्रतिशत से ज़्यादा मुस्लिम वोटर हैं. यहां लगभग 35 प्रतिशत वोट पाकर उम्मीदवार जीत जाते हैं. अगर हमने आप को छोड़कर किसी और को वोट दिया तो बीजेपी जीत जाएगी. इसे आप हमारी मजबूरी भी कह सकते हैं.''
ख़ालिद का कहना है, "पिछली बार कांग्रेस को पूरी दिल्ली के अंदर पिछली बार पांच प्रतिशत वोट मिला था और कोई सीट नहीं मिली थी. इस बार एक-दो प्रतिशत वोट बढ़ सकते हैं लेकिन कोई सीट नहीं आ रही है. ऐसे में ओखला के लोग कांग्रेस को क्यों वोट देंगे. मुक़ाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच में है. ओवैसी भी दो-तीन सीटों पर लड़ रहे हैं. वह सारी सीट जीत भी जाएं तो क्या कर लेंगे?"
22 साल के मुशीर ख़ान अपने परिवार के साथ बटला हाउस में होटल चलाते हैं. उनका मानना है कि ओखला में सिर्फ़ पतंग उड़ रही है. लेकिन महिलाओं को पैसे देने की बात बीजेपी और कांग्रेस भी कर रहे हैं. इस पर आरज़ू कहती हैं, "बीजेपी कई शर्तें लगा देती हैं जैसे- उनकी आय न हो, ख़ुद का घर न हो. इससे हर महिला को पैसे नहीं मिलते हैं. केजरीवाल अभी सुविधाएं दे रहे हैं इसलिए उन पर भरोसा है."
आम आदमी पार्टी के इस प्रदर्शन की एक वजह तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान को माना गया था. 2007 में वह कांग्रेस की स्टूडेंट विंग एनएसयूआई के टिकट पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ सचिव चुने गए थे. 2020 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. एआईएमआईएम प्रत्याशी शिफ़ा-उर रहमान जेल में बंद हैं और उनकी पत्नी नूरीन फ़ातिमा इलाक़े में जनसंपर्क कर वोट मांग रही हैं.
'कोई भी मंत्री बन जाए, सीएम बन जाए, हमारे हालात ऐसे ही रहेंगे': दिल्ली में लैंडफिल के पास किन हालात में रह रहे हैं लोग- ग्राउंड रिपोर्टसाल 1993 से लेकर अब तक ओखला विधानसभा सीट पर आठ बार चुनाव हो चुके हैं. जनता दल, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी इस सीट पर जीत हासिल कर चुकी है लेकिन बीजेपी का खाता नहीं खुला है.
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