नैपियर घास ना सिर्फ दुधारू पशुओं के लिए कारगर है बल्कि यह अन्य जानवरों को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है. जानवरों को खिलाने के अलावा नैपियर घास से जैविक खाद, बायोकोल व सीएनजी गैस भी बनाया जा सकता है. इसके अलावा इसका उपयोग कागज बनाने में भी किया जा सकता है. कन्नौज के छिबरामऊ विकासखंड में बड़े पैमाने पर इस घास को लगाया जा रहा है.
कन्नौज. ग्रमीण इलाकों में गाय पालन किसानों के लिए कमाई का बेहतर स्त्रोत है दूध उत्पादन के जरिए किसान अच्छी-खासी कमाई कर लेते हैं. हालांकि पशु पालकों के समक्ष आहार को लेकर हमेशा परेशानी रहती है कि दुधारू पशुओं को क्या खिलाएं कि दूध उत्पादन में बढोतरी हो सके. ऐसे किसानों के लिए नैपियर खास की खेती करना फायदेमंद साबित हो सकता है. कन्नौज के छिबरामऊ क्षेत्र के गौशाला में गायों को पौष्टिक आहार मिले, इसके लिए नैपियर घास लगाया जा रहा है. इस घास में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं.
यह घास गोवंशों के लिए चारे का तो काम करता ही है, साथ ही किसान इसकी खेती कर कमाई भी कर सकते हैं. छिबरामऊ विकासखंड के नगला दिलू, भौराजपुर, हमीरपुर, रतनपुर, शाहजहांपुर, भगवंतपुर, बिकुपुर, अहिरवा, राजा रामपुर, जसुआ मई, करमुल्लापुर, मिंघौली व सलेमपुर में नैपियर घास की खेती शुरू हो गई है. इसके अलावा अन्य ग्राम पंचायत में भी एक माह के अंदर नैपियर घास लगाने की तैयारी है.
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