दुनिया मेरे आगे: मन शांत होगा तो निर्णय लेने की क्षमता भी दृढ़ होगी

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दुनिया मेरे आगे: मन शांत होगा तो निर्णय लेने की क्षमता भी दृढ़ होगी
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अमूर्त विचारों को मूर्त रूप देने, अपनी रुचियां परिष्कृत करने और मनन के लिए अपने एक कोने की जरूरत बहुत सारे लोगों को महसूस होती है, जहां संसार से कुछ देर के लिए दूर होकर आत्मिक उन्नति का आधार ढूंढ़ा और अपने मन को शांत, उसकी थकावट दूर की जा सके।

मेघा राठी संसार गतिमान है और उससे भी अधिक गतिमान है मानव का मन, जो विविध क्रियाकलापों में, अलग-अलग संदर्भों में उपजे विचारों में संलग्न रहता है। एक पल में एक स्थान पर है और दूसरे ही पल सुदूर यात्रा कर आता है। इस यात्रा के दौरान वह न जाने कितने ही ताने-बाने बुन लेता है। जबकि किसी छोटी-सी बात पर तो कई बार बड़ी-बड़ी बातों से प्रभावहीन रहता है। सूर्य की पहली किरण निकलने से लेकर रात्रि में नींद में डूब जाने से पहले तक मन न जाने कितनी ही घटनाओं और वास्तविक वार्ताओं में सम्मिलित होता है और उनका प्रभाव...

लिए उचित है। अपने उस कोने में व्यक्ति आत्मचिंतन करे, किताबें पढ़े या फिर खुद से बातें करे। अपने दिमाग में आए प्रश्नों या समस्याओं पर विचार करे, कोई समाधान निकाले। या फिर अपने अच्छे बुरे पलों को याद करे, उससे मिले सबक के आधार पर जीवन में आगे के सफर की दिशा तय करे। हालांकि कुछ भी करना व्यक्ति की मन:स्थिति और इच्छा पर निर्भर है, मगर उस कोने में व्यक्ति खुद के साथ थोड़ा ऐसा समय व्यतीत कर पाता है, जो उसे परिपक्व बनाने में सहायता करता है, बशर्ते उसका मस्तिष्क स्वस्थ हो। ऐसी स्थिति में वह अपने लिए ही एक...

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